भाजपा ने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से मुस्लिमों के गुर्जर बकरवाल समुदाय से आने वाले गुलाम अली खटाना को राज्यसभा भेजा है। यह पहला मौका है जब गुर्जर समुदाय के किसी नेता को जम्मू-कश्मीर से उच्च सदन में भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने समाज के उपेक्षित तबके के उत्थान का आपना वादा पूरा किया है। उन्होंने गुर्जर समुदाय के एक आम कार्यकर्ता को सदन में भेजा है। अब तक काग्रेस, एनसीपी और पीडीपी ने सिर्फ इनका इस्तेमाल किया था।
भाजपा के इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में चर्चा हो रही है कि इस फैसल से पार्टी को क्या फायदा मिलेगा। दरअसल जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम वोट बैंक की सियासत नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस जैसे दल करते रहे हैं।
यही नहीं एक वर्ग आर्टिकल 370 को हटाने और राज्य के पुनर्गठन से सभी मुस्लिमों की असहमति की बात करता रहा है। इस मसले पर गुर्जर, बकरवाल और शिया समुदाय की राय थोड़ा अलग है। इसके आलावा जम्मू के बाहर भी भाजपा अपनी बैठ बनाने की कोशिश कर रही है।
आबादी के हिसाब से भी देखे तो गुर्जर बकरवाल की संख्या केन्द्र शासित प्रदेश में 13 से 15 फिसदी के करीब है। इनकी बड़ी आबादी मुस्लिम है तो कुछ लोग हिंदू धर्म में भी आस्था रखते है। इस तरह भाजपा एक तरफ मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ बना सकेगी तो वहीं देश भर में हिंदू गुर्जरों के भी इससे एक संदेश जाएगा। केंद्र सरकार के इस फैसले की गुर्जर समुदाय ने तारीफ की है। भाजपा मान रही है कि उसे इसका फायदा विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा।
जनजातीय समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाले जावेद राही कहते है कि दशकों से जम्मू-कश्मीर में जनजातीय समुदाय को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही हम लोग उम्मीद करते रहें कि इससे गुर्जर बकरवालों को फायदा भी मिलेगा। गुलाम अली को शनिवार को नामित करने का एलान किया गया है और वह फिलहाल जम्मू-कश्मीर से उच्च सदन में बैठने वाले इकलौते सदस्य होंगे।