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भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने Jagdeep Dhankhar, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई

नई दिल्ली। जगदीप धनखड़ आज (गुरुवार) दोपहर 12.30 बजे उप राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. दोपहर में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में हुआ. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई.इससे पहले वे सुबह 8.30 बजे राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. इस संबंध में धनखड़ ने ट्वीट कर जानकारी दी।

https://twitter.com/rashtrapatibhvn/status/1557622017569857537?s=20&t=6J5MfMnq9q_6H1KYV-d4GQ

बता दें कि हाल ही में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की शानदार जीत हुई है. उन्होंने 528 वोट हासिल किए और जीत दर्ज की. जबकि विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले. उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 725 वोट डाले गए थे. इनमें 710 वोट वैध पाए गए. जबकि 15 वोट इनवैलिड मिले।

https://twitter.com/jdhankhar1/status/1557564958287994880?s=20&t=RNiHm4CS32wV4dBc_O5KTg

14वें उपराष्ट्रपति बने धनखड़

जगदीप धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं. इससे पहले सोमवार को संसद में 13वें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को विदाई दी गई. नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो गया है. हालांकि, छुट्टियां होने की वजह से उन्होंने पहले ही पद छोड़ दिया था।

कौन हैं जगदीप धनखड़?

जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुझुनूं जिले के रहने वाले हैं. वे उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे. एनडीए के उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उन्होंने राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिया था. धनखड़ किसान परिवार से आते हैं. उनके पिता गोकुल चंद्र धनखड़ खेती करते थे. धनखड़ पेशे से वकील हैं।

जगदीप धनखड़ ने कानून की डिग्री लेने के लेने बाद वकालत शुरू की थी और साल 1990 में वे राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट बने. धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश की कई हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की है. साल 1988 तक वह देश के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार हो गए थे।

30 साल का है राजनीतिक करियर धनखड़ का राजनीतिक करियर करीब 30 वर्षों का है. साल 1989 में वह सक्रिय राजनीति में आए और इसी वर्ष 9वीं लोकसभा के लिए झुनझुनू से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार सांसद चुने गए. 1990 में वह चंद्रशेखर की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. इसके बाद उन्होंने राजस्थान की राजनीति में भी हाथ आजमाए. 1993 से लेकर 1998 तक वह विधायक भी रहे।

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