Turkey के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने UN में फिर उगला भारत के खिलाफ जहर, अलापा कश्मीर राग

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdoğan) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान 75 साल पहले आजाद हुए थे, लेकिन इनके बीच अभी तक शांति नहीं हो सकी है।
इसी सिलसिले में उन्होंने कश्मीर में स्थायी शांति और समृद्धि कायम होने की कामना भी की। आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है एर्दोगन पहले भी कश्मीर को लेकर जहर उगल चुके हैं।
भारत हर बार इस मुद्दे पर अपने अंदाज में जबाव भी देता है। इतना होने के बावजूद भी तुर्की (Turkey) कश्मीर (Kashmir) के मामले में टांग अड़ाता रहता है। एर्दोगन(Turkey President) ने कुछ दिन पहले ही समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन(SCO) की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से मुलाकात की थी। आईए ये भी जान लेते हैं कि आखिर पाकिस्तान और तुर्की कैसे बने अच्छे मित्र ।
धर्म की समानता ने बनाया पाकिस्तान और तुर्की को खास मित्र
तुर्की और पाकिस्तान की दोस्ती की नींव शीत युद्ध(Cold War) के जमाने से ही उपज गई थी । बता दें कि ये दोनों देश रूस के खिलाफ जारी छद्म जंग में अमेरिका के सहयोगी थे। अमेरिका ने रूस के खिलाफ इन्हीं दोनों देशों का सबसे ज्यादा उपयोग में लाया था।
इनकी सक्रिय भूमिका के कारण रूस को न केवल अफगानिस्तान से हार मानकर वापस जाना पड़ा, बल्कि यूरोप और भूमध्य सागर के इलाके में भी अपनी आक्रामक नीति को बदलना पड़ा। तुर्की और पाकिस्तान दोनों ताकत में भी लगभग बराबर हैं। इन दोनों देशों में सबसे बड़ी समानता इनका धर्म इस्लाम है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन इस्लामी मुल्कों का नया खलीफा बनने की कोशिश में जुटे हैं। इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा साथी चुना। यही कारण है कि तुर्की और पाकिस्तान वर्तमान में एक दूसरे पर आंख मूंदकर भरोसा कर रहे हैं।