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Parliament Attack 2001: संसद हमले के वो खौफनाक 40 मिनट, दो दशक बाद भी ताजा है यादें

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13 दिसबंर 2001 को हुआ था संसद हमला

करीब 40 मिनट तक सदन के बाहर हुई थी मुठभेड़

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी जिम्मेदारी

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नोएडा: आज से दो दशक पहले लोकतंत्र के मंदिर संसद पर हुए हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. भारत की सुरक्षा एजेंसियों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि आखिर सुरक्षा में चूक कहां रह गई. बाद में हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.

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आपको बता दे कि, 13 दिसंबर 2001 को जब सभी लोग अपने रोजमर्रा की दिनचर्या में व्यस्त थे, तभी एक ख़बर ने सभी का ध्‍यान अपनी तरफ खींच लिया था. ये ख़बर संसद पर हुए हमले से जुड़ी थी. इसके बाद सभी की नजरें टीवी सेट पर आने वाली पलपल की ख़बर पर ही जमी रही थीं. पहली बार देश की संसद पर आतंकियों ने हमला किया था. आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए संसद के सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी थी.

40 मिनट तक हुई आतंकियों से मुठभेड़

करीब 40 मिनट तक चली इस मुठभेड़ में सभी आतंकियों को मार गिराया गया. इस हमले को जैश ए मोहम्‍मद के पांच आतंकियों ने अंजाम दिया था. हमले के लिए संसद को यूं ही नहीं चुना गया था, बल्कि इसके पीछे आतंकी ये जताना चाहते थे कि वो कहीं भी कुछ भी करने की गलती कर सकते हैं. उन्‍हें ये नहीं पता था कि इस हमले में उनका क्‍या हाल होगा.

सांसदों को निशाना बनाने आए थे आतंकी

दरअसल, संसद पर हमला करने आए इन आतंकियों का मकसद संसद के मुख्‍य भवन में प्रवेश कर वहां मौजूद सांसदों को निशाना बनाना था, लेकिन इसमें वो कामयाब नहीं हो सके थे. सभी आतंकियों को सुरक्षाबलों ने संसद के बाहर ही ढेर कर दिया था. इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, CRPF की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड भी शहीद हो गए थे. इसके अलावा कुल 16 जवान भी घायल हुए थे.

हमले के वक्त सदन में मौजूद थे गृह मंत्री

आतंकियों ने जिस दिन इस हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी. उस समय संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था और अधिकतर सांसद सदन में मौजूद थे. उस दिन संसद में ताबूत घोटाला को लेकर हंगामा चल रहा था. इसकी वजह से कुछ देर के लिए संसद के दोनों ही सदनों को स्‍थगित करना पड़ा था।. देश के पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सोनिया गांधी भी हमले से पहले अपने आवास के लिए निकल चुके थे. हालांकि, तत्‍कालीन गृह मंत्री लाल कृष्‍ण आडवाणी संसद भवन में ही थे.

कुछ देर बाद ही जैश के आतंकी सफेद एंबेसडर कार से तेजी से संसद भवन की तरफ आए. इस कार पर गृह मंत्रालय का स्‍टीकर भी लगा था. ये गाड़ी संसद के मेन एंट्रेंस पर लगे बेरिकेड्स को तोड़ती हुई करीब 11 बजकर 29 मिनट पर संसद के प्रांगण में पहुंची थी. कार में से निकलते ही सभी पांच आतंकियों ने AK-47 से गोलियों की बौछार शुरू कर दी थी. जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला था.

अफजल गुरू को गिरफ्तार किया गया

हमले की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरू को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अफजल गुरू ने पाकिस्तान में ही आतंकी ट्रेनिंग ली थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2002 में और सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 में अफजल गुरू को फांसी की सजा सुनाई थी. अफजल गुरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास दया याचिका दायर कर गुहार लगाई थी. जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था. बाद में 9 फरवरी साल 2013 की सुबह अफजल गुरू को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.

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