
पिछले दो साल से कोरोना महामारी की मार झेल रही दुनिया पर एक ऐसा खतरा मंडरा रहा है. जिससे दुनिया का एक बड़ा हिस्सा बर्बादी और भुखमरी की कगार पर पहुँच सकता है. और इस बार भी इसकी जड़ कोरोना वायरस से पूरी दुनिया को तबाह करने वाला चाइना ही है. चाइना की लगातार बढ़ रही दबंगई ने दुनिया को एक भयानक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है. जिसका भयंकर परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं उसे जानने और समझने के लिए आपको पढ़नी होगी ये पूरी रिपोर्ट ..
यूक्रेन की राह चला ताइवान
रूस और यूक्रेन में चल रहा युद्ध अभी खत्म भी नहीं हुआ कि अब विश्व की दो महाशक्तियों यानि अमेरिका और चीन ने दो दो हाथ करने की ठान ली है. दुनिया में अपने आप को सबसे बड़ी महाशक्ति साबित करने की चीन की यह महत्वाकांक्षा ही है जिसने दुनिया भर में परमाणु युद्ध की स्थिति पैदा कर दी है. अमेरिका और चीन की इस लड़ाई का मोहरा बना है ताइवान.
चाइना और अमेरिका के बीच क्यों बढ़ी तनातनी?
एक तरफ चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानते हुए उसे चाइना में मिलाने की भरपूर कोशिश कर रहा है. लेकिन ताइवान खुद को अलग और स्वतंत्र राष्ट्र मानते हुए चाइना की इस दबंगई का विरोध करता आया है. लेकिन चाइना और ताइवान की इस आपसी लड़ाई में अब अमेरिका कूद चुका है. जिससे बौखलाए चीन ने अमेरिका को भयंकर परिणाम भुगतने की चुनौती देते हुए उसे मामले से दूर रहने की हिदायत दी है. लेकिन चीन की तमाम धमकियों के बावजूद अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी की कल ताइवान में लैंडिंग चाइना के मुंह पर जोरदार तमाचे की तरह है. जिसके बाद चाइना अब चैन से बैठने वाला नहीं है.
किसी भी वक्त शुरु हो सकती है जंग
इसकी शुरुआत कल रात से ही हो चुकी है. और चाइना ने ताइवान के चारों तरफ खतरनाक लड़ाकू विमानों और टैंकों को तैनात कर चुका है. साथ ही चाइना ताइवान के ऊपर टारगेटेड मिलिट्री एक्शन की चेतावनी दे चुका है. यानि देखा जाए तो स्थिति लगभग रुस और यूक्रेन जैसी बन चुकी है. लेकिन अगर चाइना ताइवान के साथ ऐसा करता है तो परिणाम रूस और यूक्रेन युद्ध से ज्यादा भयावह होगा क्योंकि ताइवान के सपोर्ट में विश्व का सबसे ताकतवर देश अमेरिका है. रिपोर्ट यह भी दावा कर रही हैं कि अमेरिका के कुछ युद्धपोत पहले से ही ताइवान के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे हैं. यानि कि अगर चाइना इधर से कुछ भी हरकत करता है तो उसकी सीधी टक्कर अमेरिका से तय मानी जा रही है.
दो गुटों में बंटी दुनिया
रूस-यूक्रेन में जंग से दुनिया पहले ही दो धड़ों में बंटी हुई थी और अब चीन-ताइवान के रिश्तों ने फिर से दुनिया को बांट दिया है. नॉर्थ कोरिया और रूस ने चीन का समर्थन किया है. वहीं, पेलोसी का कहना है कि अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा है. ऐसे में इन दो गुटों के वर्चस्व की लड़ाई दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की आग में झोंक सकती है. यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि ये सभी देश परमाणु संपन्न देश हैं. अगर गलती एक तरफ से भी परमाणु हथियार चल गए तो फिर पूरी दुनिया को तबाह होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी बन सकता है यह युद्ध ..
अगर इन बड़ी महाशक्तियों के बीच जंग छिड़ गई तो कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के जो पलीते लगे हैं उसकी स्थिति और भी बुरी हो सकती है . चीन और अमेरिका जैसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश तो इससे हो सकता है पार भी पा जाएं. लेकिन भारत जैसे विकासशील और श्रीलंका जैसे बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके देश की अधिकांश जनता के सामने भूखमरी की स्थिति आ सकती हैं