दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश बना ब्रिक्स का सदस्य, इंडोनेशिया बना 11वां सदस्य

Indonesia Joins BRICS :

Indonesia Joins BRICS : दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश बना ब्रिक्स का सदस्य, इंडोनेशिया बना 11वां सदस्य

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Indonesia Joins BRICS : इंडोनेशिया के ब्रिक्स संगठन में शामिल होने को लेकर साल 2023 में जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ही मंजूरी दे गई थी। इससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है।

दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बन गया है। ब्राजील ने सोमवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की। ब्राजील के विदेश मंत्रालय ने कहा, दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश इंडोनेशिया अब अन्य सदस्यों के साथ वैश्विक शासन संस्थानें में सुधार और ग्लोबल साउथ के भीतर सहयोग में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।

इस साल 2025 में ब्राजील ब्रिक्स की बैठक की अध्यक्षता करेगा। वहीं, इंडोनेशिया के ब्रिक्स संगठन में शामिल होने को लेकर 2023 में जोहान्सबर्ग के सम्मेलन में ही मंजूरी दे गई थी।

ब्रिक्स शामिल नहीं हो पाया

ब्राजील ने इंडोनेशिया के ब्रिक्स में शामिल होने की घोषणा की। इस घोषणा से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान कभी नहीं चाहता था कि दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश इंडोनेशिया ब्रिक्स संगठन का हिस्सा बने। पाकिस्तान अब खुद ब्रिक्स में शामिल होने के लिए लगातार हाथ-पैर मार रहा है। इसके लिए पड़ोसी देश चीन पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है। लेकिन फिर भी पाकिस्तान अब तक ब्रिक्स शामिल नहीं हो पाया।

ब्राजील में होगा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की बैठक की अध्यक्षता इस साल ब्राजील करने वाला है, जो जुलाई महीने में रियो डी जेनेरियो में होने वाली है। अपनी अध्यक्षता के दौरान ब्राजील का लक्ष्य ग्लोबल साउथ देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और बहुपक्षीय संस्थानों में नीतिगत सुधार करना है। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए भुगतान के साधनों का विकास उनका लक्ष्य है।

मुद्राओं को मजबूत करने पर चर्चा

साल 2024 के नवंबर में रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में गैर-डॉलर लेनदेन को बढ़ावा देने और स्थानीय मुद्राओं को मजबूत करने पर चर्चा की गई थी। ब्रिक्स में शामिल देशों की कोशिश लेनदेन में डॉलर का इस्तेमाल करके अपनी स्थानीय मुद्राओं को मजबूत करने की है। हालांकि इस बात से अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप काफी नाराज हो गए यहां तक की उन्होंने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी भी दी थी।

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