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Momos भारत में कैसे आए? क्या है इसका इतिहास आइए जानें  

Momos: मोमोज भारत में बहुत ही फैमस स्ट्रीट फूड है। वेज हो या नॉनवेज मोमोज को लेकर हर उम्र के लोगों में क्रेज देखने लायक होता है। यह एक ऐसी डिश है जो आपको हर जगह मिल जाएगी, सिर्फ रेहड़ी-पटरी वालों में ही नहीं बल्कि व्यस्त बाजारों, ऑफिस और मॉल में भी मिलेगी। स्ट्रीट फूड के तौर पर मोमोज के लिए बच्चों, युवाओं और बड़ों का प्यार ही कुछ और होता है।

स्कूल हो या कॉलेज, ऑफिस हो या मॉल, इन जगहों के आसपास आपको मोमोज के स्टॉल जरूर नजर आएंगे। गर्मी हो या सर्दी मोमोज खाने का लोगों का क्रेज़ हर मौसम में एक जैसा ही रहता है। क्या आप जानते हैं कि मोमोज को भारत पहुंचने में कितना समय लगा है? आपके स्वादिष्ट और चटपटे मोमोज को अपने स्वाद में शामिल करने के लिए 3000 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय करना पड़ता है।

मोमोज एक तिब्बती डिश है। यह चीन के मालपुए से प्रभावित है। मोमोज ने नेपाल के रास्ते भारत की यात्रा की। मोमोज ने उत्तर पूर्वी राज्यों के माध्यम से शहरों में अपनी पैठ बना ली है और सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड की श्रेणी में शामिल हो गया है। मोमोज पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल में भी काफी लोकप्रिय हैं। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि तिब्बत से पहले भी मोमोज चीन में बनाए जाते थे। लेकिन वहां इसका रूप अलग था। मोमोज का शाब्दिक अर्थ होता है स्टीम्ड ब्रेड।

मोमोज के व्यंजन सबसे पहले नेपाल के काठमांडू में मिले थे। माना जाता है कि तिब्बत के व्यापारी वहां से मोमोज काठमांडू लाए थे। हालांकि, मोमोज डिश की उत्पत्ति के संबंध में सटीक जानकारी प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल है। दरअसल, तिब्बत की संस्कृति और खान-पान पर चीनी और मंगोलों का प्रभाव रहा है, इसलिए कहा जाता है कि मोमोज भी चीन से तिब्बत आए थे। यह डिश भाप में बनाई जाती है।

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