G-20: ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ शब्दों में भारतीय संस्कृति का गहरा अर्थ, वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव

G-20: 'वसुधैव कुटुम्बकम' शब्दों में भारतीय संस्कृति का गहरा अर्थ, वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव

G-20: 'वसुधैव कुटुम्बकम' शब्दों में भारतीय संस्कृति का गहरा अर्थ, वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव

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 ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ ये वो दो शब्द है जिसमें भारतीय संस्कृति का गहरा दार्शनिक विचार मौजूद है। इसका अर्थ है, ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’। यह दृष्टिकोण, हमें एक सार्वभौमिक परिवार के रूप में प्रगति करने के लिए प्रेरित करता है, जिसमें सीमा, भाषा और विचारधारा का कोई बंधन जैसी कोई रूकावट नही है। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान यह विचार मानव-केंद्रित प्रगति के रूप में उभर कर आया है। हम सभी ‘एक पृथ्वी’ के रूप में, मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक और कदम आगे बढ़ रहे हैं। हम विकास के लिए एक-दूसरे के सहयोगी बन रहे हैं।

वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव

कोविड के बाद की वैश्विक व्यवस्था में तीन महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। पहला, यह एहसास बढ़ रहा है कि दुनिया को जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की जरूरत है। दूसरा, दुनिया ग्लोबल सप्लाई चेन में सुदृढ़ता व विश्वसनीयता के महत्व को पहचान रही है। तीसरा, वैश्विक संस्थानों में सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने का सामूहिक आह्वान सामने है। जी-20  में भारत की अध्यक्षता ने इन बदलावों में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है।

दिसंबर 2022 में, जब भारत ने इंडोनेशिया के बाद जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। जी-20 में अब भारत की अध्यक्षता का कार्यकाल खत्म होने तक भारत के 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकें आयोजित की जा जाएगी। इस बीच भारत 125 देशों के लगभग एक लाख प्रतिनिधियों की मेजबानी करेगा। भारत से पहले किसी भी देश की अध्यक्षता में, कभी इतने विशाल और विविध भौगोलिक विस्तार को इस तरह से शामिल नहीं किया गया। भारत की डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी, डाइवर्सिटी और डेवलपमेंट के बारे में किसी और से सुनना एक बात है और उसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करना बिल्कुल अलग है।

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