हिमाचल में वित्तीय आपातकाल, खटाखट गारंटियों ने राज्य को किया कंगाल : विपक्ष
Financial crises in Himachal : सरकार बनाने और जनता के वोट पाने के लिए तमाम राजनीतिक पार्टियां कई प्रकार के वादे करती हैं. इसमें बीते वर्षों पर यदि हम नजर डालें तो जनता के लिए विभिन्न ऐसी लोकलुभावन घोषणा की जाती हैं जिससे किसी भी सरकार पर अच्छा खासा आर्थिक दवाब पड़ता है. कई बार इन ‘मुफ्त की रेबड़ियों’ को लेकर चर्चा की जा चुकी है. वहीं अब ताजा मामला हिमाचल से जुड़ा है. यहां कर्मचारियों की तनख्वाह अभी तक नहीं मिली है. उनका कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि महीने की तीन तारीख होने के बावजूद भी तनख्वाह नहीं आई है. इसे हिमाचल राज्य का वित्तीय संकट भी कहा जा रहा है.
‘इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ’
इस मुद्दे को लेकर विपक्ष राज्य सरकार पर हमलावर है. कहा जा रहा है कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. विपक्ष ने इसे वित्तीय आपातकाल बताते हुए कहा कि खटाखट गारंटियों ने राज्य को कंगाल कर दिया है. अन्य राज्यों को भी इससे सबक लेने की जरूरत है. वहीं सीएम ने आर्थिक संकट की बात से इनकार किया है.
3 तारीख होने पर भी नहीं मिली कर्मचारियों की सैलरी
हिमाचल प्रदेश में वितीय संकट को लेकर प्रदेश में बबाल मचा हुआ है। विपक्ष का कहना है कि पहले हिमाचल के मुख्यमंत्री ने सदन में वित्तीय संकट की बात खुद की. इसके बाद अब सीएम कह रहे हैं कि कोई वित्तीय संकट नहीं है. विपक्ष ने वितीय संकट पर सदन में नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव लाया. उनका कहना है कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार हुआ है कि 3 तारीख तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली.
‘अगर संकट नहीं तो क्यों नहीं दी जा रही सैलरी’
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा है कि आज 3 तारीख होने के बावजूद कर्मचारियों के खाते में सैलरी और पेंशनरों को पेंशन नहीं आई है. मुख्यमंत्री कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट है और कभी कह रहे हैं कि आर्थिक संकट नहीं है। अगर आर्थिक संकट नहीं है तो कर्मचारियों को सैलरी क्यों नहीं आई। विपक्ष ने इसी को लेकर सदन में चर्चा की मांगी थी लेकिन सरकार गंभीर नहीं है. हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट है और विपक्ष इसको लेकर गंभीर है. विपक्ष विधायक दल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर दखल की मांग की है। भाजपा कांग्रेस की खटाखट गारंटियों की चुनावी राज्यों में भी पोल खोलेगी।
सरकारी विभागों में सिस्टम को थोड़ा ठीक कर रहे हैं : CM सुखविंदर सिंह सूक्खु
वहीं हिमाचल में अब वितीय संकट को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हम वितीय संकट से उभर रहे हैं. पिछले साल हमने 2200 करोड़ का राजस्व कमाया है और लगातार वितीय संकट में सुधार हो रहे हैं थोड़ा सा फिजिकल डीसिप्लिन और आर्थिक सुधार पर जोर दिया गया है। मुख्यमंत्री का कहना था कि कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर 2000 हजार करोड़ खर्च होता है हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है थोड़े और अनुशासन की जरूरत है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, “विपक्ष को चर्चा से भागना नहीं चाहिए. वेतन के मामले में मैं सदन में एक बयान दूंगा। ऐसा नहीं है कि किसी का वेतन रोका जा रहा है। सरकारी विभागों में सिस्टम को थोड़ा ठीक कर रहे हैं, आने वाले समय में उनका वेतन निकाल दिया जाएगा।
‘जो कर्मचारी आवाज उठा रहा है, उसका तबादला किया जा रहा है’
कर्मचारियों 3 तारीख होने के बावजूद भी सैलरी न मिलने पर सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के महासचिव कमल कृष्ण शर्मा और शिक्षक नेता मामराज पुंडीर ने कहा है कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार हुआ है जिससे कर्मचारियों में खासा रोष है। सैलरी कब आएगी इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है और न ही सरकार ने इसकी कोई आधिकारिक सूचना दी है। कर्मचारियों को इधर-उधर से उधार लेकर खर्चा चलाना पड़ रहा है। कर्मचारियों को बिजली, पानी, राशन इत्यादि के बिल देने होते हैं जो नहीं दे पा रहे हैं। कर्मचारियों की ईएमआई पर भी असर हो रहा है. बैंक से कर्मचारियों को फोन आ रहें हैं और कुछ को तो पेनल्टी भी लग गई है। जो कर्मचारी सरकार के खिलाफ़ आवाज उठा रहा है उसके तबादले किए जा रहे हैं।
रिपोर्टः योगराज शर्मा, संवाददाता, शिमला, हिमाचल प्रदेश
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