दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान खत्म, कुल 70 सीटों पर हुई वोटिंग

Delhi Assembly Elections 2025 :

Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान खत्म, कुल 70 सीटों पर हुई वोटिंग

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Delhi Assembly Elections 2025 : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान खत्म हो गया है। 13,766 मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान हुआ। 699 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया है। अब 8 फरवरी को इनके भाग्य का फैसला होगा। बता दें कि दिल्ली की सभी 70 सीटों पर वोटिंग हुई है।

वहीं शाम 5 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में लगभग 58 प्रतिशत वोटिंग हुई है। 5 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में सबसे ज़्यादा 63.83% और साउथ ईस्ट दिल्ली जिले में सबसे कम 53.77% मतदान हुआ है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और आतिशी मुख्यमंत्री हैं। AAP ने लगातार 2013, 2015, 2020 में जीत हासिल की और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। वहीं इस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी हैं।

AAP के लिए यह चुनाव काफी मायने रखता है। जबकि बीजेपी और कांग्रेस भी मैदान में हैं और वापसी के लिए जोर लगा रहे हैं। बीजेपी ने दिल्ली में 1993 में जीत हासिल की थी, उसके बाद कभी जीत नसीब नहीं हुई। वहीं, कांग्रेस ने 1998, 2003, 2008 में लगातार जीत हासिल की और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं।

दिल्ली की किन सीटों पर सबकी नजर?

बता दें कि दिल्ली चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजे पर हर किसी की नजर है। वहीं इन सभी प्रमुख सीटों पर अरविंद केजरीवाल, आतिशी, प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और कैलाश गहलोत जैसे प्रमुख नेता दौड़ में हैं। गौरतलब हो कि नई दिल्ली सीट सबसे हाई-प्रोफाइल है। यहां AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल, बीजेपी के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित के बीच मुकाबला है।

पटपड़गंज सीट पर AAP से अवध ओझा, बीजेपी से रविंदर सिंह नेगी और कांग्रेस से अनिल चौधरी के बीच टक्कर है। उत्तर पश्चिमी इलाके की रोहिणी सीट पर AAP से प्रदीप और बीजेपी से विजेंद्र गुप्ता के बीच मुकाबला हो रहा है।

कालकाजी सीट पर दिल्ली की वर्तमान सीएम आतिशी, बीजेपी से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अलका लांबा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है। जंगपुरा सीट से AAP से मनीष सिसोदिया, बीजेपी से सरदार तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस से फरहाद सूरी मैदान में हैं।

क्या होते हैं एग्जिट पोल ?

एग्जिट पोल एक प्रकार का सर्वे होता है जो चुनाव समाप्त होने के तुरंत बाद, लेकिन वोटों की गिनती से पहले, मतदाताओं से उनकी वोटिंग के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है। इसे चुनाव केंद्रों के बाहर मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है। एग्जिट पोल का मुख्य उद्देश्य चुनाव के परिणाम का अनुमान लगाना होता है, हालांकि यह कोई आधिकारिक परिणाम नहीं होता है।

एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस?

एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते। आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं। कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

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