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Cyber Crime : तिलिस्मी है डार्क वेब की दुनिया, आसान नहीं इन अपराधियों को पकड़ना

Dark Web

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Dark Web : संसद से सड़क तक NEET और UGC-NET Paper Leak का हल्ला है. अब इस मामले में आर्थिक अपराध ईकाई और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां भी जांच कर रही हैं. बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक इस संबंध में गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. ऐसे में आखिर यह सवाल उठ रहा था कि इन पेपर को कहां और कैसे लीक किया गया. इस मामले में अब डार्क वेब का पता चला है. लेकिन इसे ट्रेस करना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है. आखिर डार्क वेब है क्या?, विस्तार से समझते हैं.

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पुलिस को डार्क वेब (Dark Web) पर पेपर बेचे जाने की बात पता चली है. लेकिन आखिर ये क्या होता है और उसे ट्रेस करना इतना मुश्किल क्यों है इसको जानना भी जरूरी है.

दरअसल डार्क वेब एक ऐसे अस्तित्व वाली दुनिया है जो दिखाई नहीं देती. अधिकतर साइबर अपराध के लिए इसी का प्रयोग साइबर अपराधी करते हैं. यह साइबर अपराधियो का एक ठिकाना बन गया है. इसमें रुपयों की डील नहीं क्रिप्टोकरेंसी में डिमांड होती है. अगर हम बात गूगल, फायरफॉक्स या अन्य ब्राउजर की करें तो इसमें .com, .in, .org एक्सटेंशन का प्रयोग होता है. इसमें हिस्ट्री ढूंढना आसान है. वहीं डार्क वेब में .onion एक्सटेंशन का यूज होता है. इसमें हिस्ट्री सेव नहीं होती. .onion की राउटिंग तकनीक से अपराधी आसानी से सर्विलांस और ट्रैकिंग से बच जाते हैं.

अब आखिर कैसे बचते हैं इसे भी समझना होगा. दरअसल .onion एक्सटेंशन से इसके आईपी एड्रेस बदलते रहत हैं. और भी आसान भाषा में कहें तो इसमें जल्दी-जल्दी आईपी एड्रेस कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होते हैं. ऐसे में इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. यह आम प्रयोग में आने वाले ब्राउजर पर नहीं चलता. इस आईपी एड्रेस बदलने की प्रकिया में यह लगाना काफी मुश्किल हो जाता है कि आखिर मैसेज किसने भेजा, कब भेजा, कहां से भेजा और किस डिवाइस से भेजा.

ये बता पाना तो बहुत ही मुश्किल होगा कि आखिर डार्क वेब पर कितनी साइट्स हैं. शातिर अपराधी डार्क वेब पर जब भी कोई डील करते हैं तो क्रिप्टोकरंसी की डिमांड करते हैं जिससे कि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके. डार्क वेब को ऑपरेट करने के लिए टीओआर नाम के खास ब्राउजर का प्रयोग करना होता है. जैसा कि हमने पहले बताया कि इस ब्राउजर में न तो हिस्ट्री सेव होती है और न ही आईपी एड्रेस ही एक सा रहता है. यह लगातार बदलता रहता है. यही वजह से कि इन अपराधियों को पकड़ना पुलिस के लिए नामुमकिन सा हो जाता है. इसका यूज अपराधी कई तरह के अपराधों को अंजाम देने में करते हैं.

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