Chhath Puja 2024: जानें डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का समय
Chhat Puja 2024: छठ महापर्व हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व है, जो सूर्य देवता और छठी माता की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से नहाय-खाय के साथ आरंभ होता है और सप्तमी तिथि पर समाप्त होता है। छठ महापर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है, जिसमें डूबते और उगते हुए सूर्य दोनों को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। 07 नवंबर को संध्याकाल में, डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और अगले दिन यानी 08 नवंबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होगा। दिल्ली में सूर्यास्त का समय 5:32 बजे है, जबकि उषा अर्घ्य 08 नवंबर को सुबह 6:38 बजे होगा।
छठी माता को संतान की रक्षा करने वाली देवी
शास्त्रों में छठ माता को सूर्यदेव की बहन के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए, छठ पूजा के दौरान सूर्य देवता और छठ माता की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। छठी माता को संतान की रक्षा करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि वे संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय जीवन का आशीर्वाद देती हैं। देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को भी छठ माता के रूप में पूजा जाता है। छठी माई को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री माना जाता है और यह मान्यता है कि देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ व्रत किया था, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।
सुख-समृद्धि की कामना
छठ महापर्व पर व्रती पूरे संयम और भक्ति भाव से पूजा करते हैं। तीसरे दिन संध्याकाल में व्रती तालाब या नदी के तट पर जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस अवसर पर छठी माता के गीत गाए जाते हैं और प्रसाद अर्पित किया जाता है। यह पर्व न केवल परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना करता है, बल्कि भक्तों में सामाजिक एकता और संयम की भावना को भी बढ़ावा देता है।
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