पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय को गुमराह करने के लिए बीबीएमबी चेयरमैन के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की

पंजाब सरकार ने बीबीएमबी चेयरमैन मनोज त्रिपाठी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की
Chandigarh : पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी के विरुद्ध माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष जानबूझकर तथ्यों की गलत प्रस्तुति करने के आरोप में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
सीएम नंबर 123 ऑफ 2025 के खिलाफ सीडब्ल्यूपी पीआईएल नंबर 101 ऑफ 2025 में विस्तृत जवाब के तौर पर दाखिल किए गए एक ठोस शब्दों के संदर्भ में, पंजाब सरकार ने बीबीएमबी चेयरमैन द्वारा किए गए गैर-कानूनी हिरासत के दावों का पुरजोर खंडन किया है।
प्रवक्ता ने दी जानकारी
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 8 मई, 2025 को लाइव अदालती कार्यवाही के दौरान, त्रिपाठी ने माना कि वे सिर्फ स्थानीय नागरिकों से घिरे हुए थे और पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने में सहायता की थी। हालांकि, 9 मई, 2025 को दिए गए एक हलफनामे में, त्रिपाठी ने विपरीत आरोप लगाया कि उन्हें गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया था, जो कि उनके पिछले अदालती बयान के बिल्कुल विपरीत है।
जिसके परिणामस्वरूप, पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा-379 का इस्तेमाल किया, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय से बीएनएसएस की धारा-215 के तहत अपराध की जांच शुरू करने का अनुरोध किया गया, जो जानबूझकर झूठा हलफनामा जमा करने से संबंधित है।
राज्य ने कोर्ट से त्रिपाठी और संजीव कुमार के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की
इसके अलावा, राज्य ने 6 मई, 2025 के उच्च न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए त्रिपाठी और संजीव कुमार, निदेशक (जल विनियमन) दोनों के विरुद्ध अदालत की अवमानना संबंधी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।
इस मामले के बारे में जानकारी देते हुए, राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि माननीय उच्च न्यायालय के 6 मई, 2025 के आदेश में केवल 2 मई, 2025 को हुई बैठक के दौरान लिए गए फैसलों को लागू करने का आदेश दिया गया था। पंजाब सरकार का तर्क है कि ऐसे किसी भी फैसले के बारे में न तो राज्य के अधिकारियों को और न ही बीबीएमबी चेयरमैन को औपचारिक रूप से सूचित किया गया था।
इसके बावजूद, श्री त्रिपाठी ने अदालत के आदेशों को गलत ढंग से पेश किया और यह दावा किया कि अदालत ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है। इस तरह बीबीएमबी स्टाफ, अदालत और हितधारकों को गुमराह किया गया और न्यायपालिका के सामने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
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