स्मार्टफोन बनाने वाली चीनी कंपनी Vivo India के खिलाफ ED ने दायर की पहली चार्जशीट- रिपोर्ट
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्मार्टफोन (SmartPhone) बनाने वाली चीनी कंपनी (Chinese Company) वीवो इंडिया (Vivo India) और कुछ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में अपनी पहली चार्जशीट (Charge sheet) दाखिल की है.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दायर
समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) (Prevention of Money Laundering Act) के संबंधित प्रावधानों के तहत बुधवार को विशेष अदालत के समक्ष ये चार्जशीट दायर की है.
मामले में अबतक चार लोगों की गिरफ्तारी- Enforcement Directorate
इस केस में गिरफ़्तार किए गए लोगों के अलावा वीवो इंडिया को भी अभियुक्त के तौर पर नामजद किया गया है. ईडी ने इस केस में अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया है.
इन लोगों के नाम हैं शामिल
इनमें मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी लावा इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक हरि ओम राय, एक चीनी नागरिक ग्वांग्वेन उर्फ एंड्रूय क्वांग और चार्टर्ड एकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक शामिल हैं.
गलत तरीके से Vivo India को पहुंचाया फायदा
ईडी ने एक स्थानीय अदालत में जो रिमांड पेपर्स दाखिल किए थे, उनमें ये आरोप लगाया गया है कि इन चारों अभियुक्तों ने वीवो इंडिया को गलत तरीके से फायदा उठाने की सुविधा दी. ये भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए नुक़सानदेह है.
ईडी ने पिछले साल जुलाई में वीवो इंडिया और उससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. एजेंसी का दावा है कि उसने बड़े पैमाने पर पैसे के अवैध लेन-देन का पता लगाया है जिसमें कुछ चीनी नागरिक और कई भारतीय कंपनियां शामिल हैं.
भारत में टैक्स से बचने के लिए चीन भेजा पैसा
ईडी का ये भी आरोप है कि वीवो इंडिया ने भारत में टैक्स देने से बचने के लिए 62,476 करोड़ रुपये अवैध तरीके से चीन भेजा है.
इस मामले में लावा इंटरनेशनल (Lava International) के प्रबंध निदेशक हरि ओम राय ने पिछले दिनों अदालत को बताया था कि उनकी कंपनी और वीवो इंडिया एक दशक पहले तक भारत में एक ज्वॉयंट वेंचर लॉन्च (Joint Venture Launch) करने के लिए बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि साल 2014 के बाद से इस चीनी कंपनी और उसके प्रतिनिधियों से उनका कोई लेना-देना नहीं है.
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