Mig 21 Crashes in India: राजस्थान के बाड़मेर जिले में गुरुवार रात भारतीय सेना का MiG-21 हादसे का शिकार हो गया. इस हादसे में दो पायलट की जान चली गई. लेकिन मिग विमान में होने वाला यह कोई पहला हादसा नहीं है. अब तक MiG-21 ने 200 से अधिक जानें ली हैं. MIG -21 बनाने वाला देश रूस 1985 में ही इस विमान का निर्माण बंद कर चुका है, लेकिन न जाने क्या वजह है कि अब तक वायु सेना से इसे बाहर नही किया गया. आइए एक नजर डालते हैं कि अब तक MiG-21 कितनी बार हादसों का शिकार हो चुका है और यह अबतक कितनी जानें ले चुका है.
पहली बार साल 1964 में भारतीय सेना में शामिल हुआ MiG-21 एक वक्त भारत की शान हुआ करता था. 1971 के युद्ध में MiG-21 ने जमकर कहर बरसाया था. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस दौरान MiG-21 ने पाकिस्तानी वायु सेना के 13 विमानों को मार गिराया था. आपको बता दें कि बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी पाकिस्तान के F-16 विमान को भी MiG-21 ने धूल चटाई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, MiG-21 के 400 से अधिक जेट 1971-72 के बाद से दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिसमें 200 से अधिक पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं. MiG-21 बनाने वाला देश रूस 1985 में ही इस विमान का निर्माण बंद कर चुका है. लेकिन भारत में अब तक MIG-21 का इस्तेमाल किया जा रहा है. वो बात अलग है कि यहां इसके अपग्रेडेड वर्जन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
लेकिन इस अपग्रेडेड वर्जन में भी कहीं न कहीं कोई खामियां जरूर है जिसकी वजह से समय-समय पर यह विमान दुर्घटनाग्रस्त होता रहा है. यही कारण है कि सेना के उच्च अधिकारियों से लेकर रक्षा विशेषज्ञों ने भी इस पर लगातार सवाल उठाए हैं. मिग-21 को वायुसेना के बेड़े से बाहर करने की मांग कई बार की जा चुकी हैं.
रिपोर्ट के अनुसार 2012 में भारत के रक्षा मंत्री रहे AK ANTONY ने भी संसद में MiG-21 पर सवाल उठाए थे. अगर औसतन निकालें तो भारत में लगभग हर साल 12 विमान क्रैश होते हैं. देखें ये आकड़ा
साल | MiG-21 से हुए हादसे |
1963 – 1973 | 36 |
1973 – 1983 | 43 |
1983 – 1993 | 73 |
1993 – 2003 | 99 |
2003 – 2013 | 32 |
2013 – अबतक | 21 |
मिग-21 ने अब तक इतनी जानें ले चुका है कि इसका दूसरा नाम ‘उड़ता ताबूत’, ‘Flying Coffin’ और ‘Widow Maker’ पड़ चुका है. गुरुवार को बाड़मेर में हुई दुर्घटना ने एक बार फिर मिग -21 विमान के ऊपर सवालिया निशान खड़े होने शुरु हो गए हैं. इतनी सारी दुर्घटनाओं के बावजूद भी मिग-21 पर भारतीय वायुसेना की निर्भरता की वजह यह है कि भारत में दूसरे लड़ाकू विमान की संख्या काफी कम है. राफेल और तेजस जैसे फाइटर प्लेन की संख्या अभी भी काफी कम है.
मौजूदा सरकार ने सुरक्षा बजट में बढ़ोतरी और तकनीकी सक्षमता में बढ़ावा का हवाला देते हुए तमाम सुविधाओं और भर्तियों में कटौती तो कर दी है. लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि मिग -21 के खराब सुरक्षा रिकॉर्ड को देखते हुए सरकार इस मिग -21 को अलविदा कहती है या अभी भी इसके ऊपर पहले वाले रवैये को बरकरार रखती है. क्योंकि मिग दुर्घटना में बेवजह जान गंवाने वाले हमारे देश के जवान हैं. और यहां बात देश की सुरक्षा और हमारे जवानों की जिंदगी का है.
रिपोर्ट- दीपक
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