देशभक्ति फिल्मों का ऐसा सितारा, दर्शकों ने भुला दिए जिसके असली नाम, Manoj Kumar के कुछ अनकहे किस्से

Manoj Kumar Birthday Special: 15 अगस्त 1947 को देश को आज़ादी के साथ-साथ पाकिस्तान के अलग होने का दर्द और इस बंटवारे के समय भड़के दंगे का दंश भी मिला। इस बंटवारे के दंश को एक 10 साल के लड़के ने न सिर्फ झेला बल्कि उसे महसूस भी किया। 24 जुलाई 1937 को गुलाम भारत के एबटाबाद (अब पाकिस्तान में स्थित) से पलायन कर जिसका पूरा परिवार काफी दिनों तक भारत के रिफ्यूजी कैंपों में दिन गुजारने को मजबूर हुआ। इस दौरान अपने छोटे भाई को भी खोया। लेकिन बड़े होकर इस दंश और पीड़ा को उस लड़के ने उस दर्द को देशभक्ति फिल्मों में ऐसा ढाला कि लोग (Manoj Kumar real Name) उसका असली नाम भी भूल गए। उसे नया नाम मिला ‘भारत कुमार’।
भारत कुमार के नाम से मशहूर मनोज कुमार का आज 85वां जन्मदिन
आज हम बात कर रहे हैं मनोज कुमार की, जिन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत तो रोमांटिक हीरो के रुप में की। लेकिन देशभक्ति फिल्मों के किरदारों ने उन्हें पहचान दिलाई। पहचान भी ऐसी कि मनोज कुमार लोगों के बीच भारत कुमार बन गए। दरअसल मनोज कुमार भी इनका बदला हुआ नाम था, जो उन्होंने दिलीप कुमार के नाम से प्रभावित होकर रख लिया था। उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है।
‘शहीद-ए-आजम’ भगत सिंह पर बनी फिल्म ने दिलाई पहचान
1957 में बनी ‘फैशन’ नामक फिल्म से अपनी फिल्मी पारी का आगाज़ करने वाले मनोज कुमार की शुरुआती फिल्मों को ज्यादा सफलता नहीं मिली। 1965 में आई शहीद फिल्म ने उन्हें असली कामयाबी दिलाई। ‘शहीद-ए-आजम’ भगत सिंह के जीवन पर बनी इस फिल्म ने दर्शकों का प्यार और नेशनल अवार्ड दोनों बटोरे। यह मनोज कुमार की पहली देशभक्ति आधारित फिल्म थी। जिसके बाद मनोज कुमार भारत कुमार की राह पर बढ़ चले। उपकार, पूरब और पश्चिम और क्रांति जैसी फिल्में इसके बाद आईं।
भारत कुमार का शास्त्री जी से जुड़ा किस्सा
बात 1965 की है, उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। शास्त्री जी चाहते थे कि फिल्मों के माध्यम से यह संदेश देश की जनता को दिया जाए। उस समय ऐसी फिल्मों के लिए मनोज कुमार से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता था। शास्त्री जी ने मनोज से इस बारे में बात की, मनोज कुमार ने बात मान भी ली। शास्त्री जी को किए गए वादे को पूरा करने के लिए मनोज कुमार ने लेखन से लेकर निर्देशन तक की जिम्मेदारी संभाली। जबकि इससे पहले उन्हें इन चीजों का कोई अनुभव नहीं था।
मनोज कुमार से भारत कुमार बनने का सफर
आखिरकार फिल्म बनी और 1967 में रिलीज हुई, सुपरहिट हुई। लेकिन अफसोस! इस फिल्म (Manoj Kumar life) को बनाने का अनुरोध करने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी इस फिल्म को देख नहीं सके। शास्त्रीजी 1966 में अपनी ताशकंद यात्रा पर गए लेकिन वहां पर उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में निधन हो गया। शास्त्री जी को इस फिल्म को न दिखाने का अफसोस जीवन भर के लिए मनोज कुमार के दिल में रह गया। भारत कुमार के नाम से मशहूर मनोज कुमार का आज 85वां जन्मदिन है। उम्र के इस पड़ाव पर मनोज कुमार ने भले ही फिल्मों से अब दूरी बना ली है, लेकिन उनकी फिल्में आने वाली कई पीढ़ियों में देशभक्ति का जज्बा भरती रहेंगी।
रिपोर्ट- दीपक