Advertisement
कोरोना की तबाही
Share
आलोक वर्मा
Advertisement

साल 2021 के विदाई का वक्त आ गया है, साथ ही साल 2022 के आने का वक्त भी हो चला है। ये वो वक्त है जब हमसे महीने बाद मिलने वाले पूछते हैं कि साल कैसा रहा। बीसवीं सदी का दूसरा शतक यानि साल 2021 के बारे में आपसे कोई पूछे तो आपका जवाब क्या होगा। साल 2021 कोरोना के खतरे के बीच शुरू जरूर हुआ था मगर टीके के रूप में एक उम्मीद भी लेकर आया था। 26 जनवरी से देश में चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन लगनी शुरू हो गई थी।

Advertisement

उस समय जब संक्रमण घट चुका था, होली की हुल्लड़बाजी हो रही थी, चुनावी रैलियों का दौर चल रहा था। ठीक उसी समय अचानक हालात बदल गए। दो महीने यानि अप्रैल और मई ने तबाही के वो दर्दनाक मंजर दिखाए जिसकी टीस शायद हरेक के जीवन में जख्म के रूप में मौजूद है। गूगल सर्च रिपोर्ट का दावा है कि लोगों ने उस दौरान जो सबसे ज्यादा सर्च किया वह था घर में आक्सीजन बनाने की तरीका। हो भी क्यों ना, देश में तब ऑक्सीजन की मांग 12 गुना बढ़ गई थी।

विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, दूसरी लहर के दौरान हुई मौतों में 33.5 प्रतिशत महिलाएं थीं। देश के कुल कार्यबल में वैसे भी महिलाओं की भागीदारी केवल 24 प्रतिशत थी। जब लॉकडाउन के चलते नौकरियां छूटीं तो उसमें से 28 प्रतिशत नौकरियां महिलाओं की चली गईं। अब बुजुर्गों की सुन लीजिए, एज वेल फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, 73 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी को तालाबंदी के दौरान उत्पीड़न झेलना पड़ा। कोरोना की लड़ाई जीत चुके बुजुर्ग अब लांग कोविड की मार झेल रहे हैं।

लांसेट में छपे एक शोध के मुताबिक, भारत में दूसरी लहर के दौरान करीब 1.1 लाख बच्चों ने अपने मां या पिता को खो दिया। इससे भी खतरनाक बात ये है कि देश में हर दिन 31 बच्चों ने आत्महत्या की है। खैर टीस भरा साल 2021 अब जाने को है मगर जाते-जाते ओमीक्रोन जैसे खतरे से डरा रहा है। इसके साथ ही कोरोना के मामलो में भी बढ़ोत्तरी होने लगी है।

कोविड सुपरमॉडल पैनल का अनुमान है कि ओमीक्रोन के चलते देश में तीसरी लहर आ सकती है। फरवरी 22 में इसके चरम पर होने का अनुमान है। इसका अंदाजा सहजता से इस बात से भी लगाया जा सकता है कि केवल 20 दिन में ही ओमीक्रोन एक दर्जन से ज्यादा राज्यो में पहुंच चुका है। चिंता ये भी है कि दूसरी लहर के दौरान सर्वाधिक मार झेलने वाले महाराष्ट्र और दिल्ली में इस वैरिएंट के सबसे ज्यादा मरीज हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चिंता व्यक्त करने के साथ-साथ उपायों के बारे में भी कदम उठा चुके हैं। राज्य सरकारें भी रात्रि कर्फ्यू के रूप में अपनी गंभीर चिंता जाहिर कर रही हैं। अदालतें भी बोल रही हैं, लेकिन इन सबकी कोशिश का कोई लाभ नहीं जब तक हम आप इस पर गंभीर ना हों। जब तक हम और आप नहीं सोचेंगे कि नहीं चेते तो कोई अपना जा सकता है, तब तक इससे मुकाबला संभव नहीं है। इसलिए हमें ही फैसला करना होगा कि साल 2022 टीस वाला हो या आनंद वाला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *