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Bismil : काकोरी कांड और राम प्रसाद बिस्मिल, अपनी शहादत से दी स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा

Bismil : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक राम प्रसाद बिस्मिल भी थे। एक बहादुर और प्रेरणादायक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। जिन्होंने अपनी शहादत से स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी थी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ-साथ विभिन्न क्रांतिकारी संगठनों में शामिल हुए थे। उन्होंने भारतीय युवाओं को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। साथ ही अपने विचारों से उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूक भी किया।

साहित्य

उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले के एक छोटे से गाँव में 11 जून 1897 को राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ था। उनकी राजनीतिक विचारधारा और शिक्ष ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी विचारधारा और प्रेरणा को क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा व्यक्त किया। बिस्मिल  की आत्मकथा “उधार की ज़िन्दगी” और कविताओं का संग्रह “मृत्युलोक” आज भी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

काकोरी कांड

1920 के दशक में स्वतंत्रता संग्राम में राम प्रसाद बिस्मिल की सक्रिय भागीदारी रही थी। राम प्रसाद बिस्मिल का नाम काकोरी कांड के साथ जुड़ा हुआ है। 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड हुआ था। जिसमें बिस्मिल और उनके साथियों ने लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन को लूटा। जो कि ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक क्रांतिकारी कार्रवाई के रूप में सामने आई। इस घटना के बाद बिस्मिल और उनके साथी गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया। 7 अक्टूबर 1925 को सभी को मौत की सजा सुनाई गई। 19 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद बिस्मिल को फैजाबाद जेल में फाँसी दी गई।

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