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गणतंत्र दिवस पर इस बार कश्मीर में बढ़ी तिरंगे की मांग, राज्य में हालात बेहतर

कश्मीर में तिरंगा
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कश्मीर में इस बार गणतंत्र दिवस खास होगा। लोगों में अब आतंकियों का डर खत्म हो गया है। लोग अब वहां पर खुलेआम तिरंगा लेकर निकलते हैं। यही कारण है कि इस बार गणतंत्र दिवस पर कश्मीर में तिरंगे की मांग बढ़ गई है। यह बात भारतीय सेना की चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय ने खुद कही है। उन्होंने इसे कश्मीर में सकारात्मक बदलाव बताया।

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डीपी पांडेय ने कहा कि कश्मीर में हालात पूरी तरह शांत व नियंत्रण में है। आतंकी हिंसा में कमी आ रही है। कश्मीर के लोग और नौजवान हिंसा के मार्ग पर चलने के बजाय वे उन तत्वों से लड़ रहे हैं जो उन्हें अपने समाज और राष्ट्र के खिलाफ बंदूक उठाने के लिए उकसाते हैं।

श्रीनगर में एक समारोह के बाद मंगलवार को पत्रकारों से कोर कमांडर ने बीत की। बातचीत में कोर कमांडर ने कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बीते एक साल संघर्ष विराम जारी है, लेकिन हमने अपनी सतर्कता का स्तर बिल्कुल नहीं घटाया है। हम पूरी तरह सजग हैं, क्योंकि हमारा दुश्मन बहुत ही चालाक व धूर्त है। हम जंगबंदी को जारी रखना चाहते हैं ताकि एलओसी के दोनों तरफ बसी आम जनता सुरक्षित और शांत वातावरण में जिंदगी गुजार सके।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मजबूरी थी जो उसने बीते साल फरवरी में जंगबंदी की फिर से बहाली पर अमल का एलान किया। इसके पीछे उसका मकसद क्या था और वह आगे क्या चाहता है, यह आने वाला समय बताएगा। इसे जानने के लिए हम हालात पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं। हम एक ऐसे दुश्मन से निपट रहे हैं, जो सिर्फ अपना स्वार्थ देखता है। पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आज भी घुसपैठियों को इस तरफ धकेलने की साजिश में लगी हुई है।

आतंकी हिंसा के लिए बंदूक उठाने वाले युवाओं से सैन्य अधिकारी ने कहा कि अब समय बदल चुका है। लोग भी समझदार हो रहे हैं। हिंसा के रास्ते पर गए कम उम्र के युवाओं को अभी समझ में नहीं आएगा कि उन्होंने यह बंदूक किस लिए उठाई है। जब उनकी उम्र 24-25 साल होगी, तब पता चलेगा कि यह रास्ता गलत है, इस पर सिर्फ तबाही है। इसीलिए वापस जिंदगी की तरफ लौटो। वरना हश्र वही होगा जो वह अच्छी तरह जानते हैं।

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