‘RSS है देशद्रोही संगठन’…तिरंगा फहराने पर राहुल गांधी का RSS पर तीखा प्रहार
नई दिल्ली: 15 अगस्त को भारत अपना 75वां वर्षगांठ पूरा कर रहा है। पीएम मोदी के आह्वान के बाद पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। हर घर, हर दफ्तर के बाहर देशवासियों के ने शान से तिरंगा फहराया । लेकिन, एक समय ऐसा भी था जब केवल सरकारी संस्थानों पर ही झंडा फहराने की अनुमति थी। केंद्र सरकार के इस अभियान में भाग लेते हुए देश के सबसे बड़े संगठन RSS ने भी अपने दफ्तर पर तिरंगा फहराया। जिसपर विपक्ष की नजरें आकर रुक गई। जिस पल RSS ने तिरंगा फहराया उसी पल विपक्ष ने संगठन को सवालों के कठघरे में खड़ा किया। देश के सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी ने RSS पर निशाना साधते हुए पूछा कि आखिर 52 सालों तक संगठन के द्वारा तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया? राहुल गांधी ने बड़बोलें बनते हुए RSS को ‘देशद्रोही संगठन’ तक बता डाला। हालांकि कांग्रेस पार्टी यहीं नहीं रुकी, इनके एक और दिग्गज नेता जयराम नरेश ने भी RSS को संविधान और तिरंगा विरोधी बताया।
पहले सिर्फ सरकारी संस्थानों में ही तिरंगे को फहराने की अनुमति थी। लेकिन ये हक हरएक आम नागरिक को दिलाने के लिए एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई। तो आइए आपको बताते है कि कब हर एक नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार मिला और किसने ये कानूनी लड़ाई लड़ी…
कब भारत के नागरिकों को मिला अधिकार
– 1992 से पहले निजी तौर पर तिरंगा फहराने का अधिकार नहीं था।
– सूर्यास्त से पहले उतार लिया जाता था राष्ट्रीय ध्वज
– 2002 में मिला हर नागरिक को ध्वजारोहण का अधिकार
– 1992 में उद्योगपति नवीन जिंदल ने अपने कारखाने में फहराया तिरंगा
– जिला प्रशासन ने नवीन जिंदल को दण्डित करने की दी चेतावनी
– राष्ट्रध्वज फहराने के अधिकार को लेकर नवीन जिंदल गए कोर्ट
– नवीन जिंदल ने दिल्ली हाईकोर्ट औऱ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
– 7 साल सुनवाई के बाद मिला हर नागरिक को मिला ध्वजारोहण का अधिकार
– आदर, प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ हर नागरिक को मिला मौलिक अधिकार
– केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फ्लैग कोड में किया संसोधन
– 26 जनवरी 2002 को भारत सरकार ने किया संसोधन
– सभी नागरिकों को किसी भी दिन तिरंगा फहराने का मिला अधिकार
– 2009 में रात में तिरंगा फहराने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी