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Indian Weather Women अन्ना मणि, जिनकी याद में गूगल ने बनाया खास डूडल

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अन्ना मणि ने एक भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी के तौर पर उनके काम ने भारतीय एजेंसियों के लिए वर्तमान समय में देश की मौसम की स्थिति का सटीक अनुमान लगाना आसान बना दिया।

अन्ना मणि
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भारतीय मौसम का पूर्वानुमान संभव बनाने वाली मौसम विज्ञानी (Indian Meteorologist) अन्ना मणि (Anna Mani) की आज 104वें जन्मदिन पर सर्च इंजन गूगल (Google) ने खास तौर पर डूडल (Doodle) बनाकर याद कर रहा है। अन्ना मणि ने एक भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी के तौर पर उनके काम ने भारतीय एजेंसियों के लिए वर्तमान समय में देश की मौसम की स्थिति का सटीक अनुमान लगाना आसान बना दिया। बता दें, अन्ना मणि का मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में काफी ज्यादा योगदान है।

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केरल की रहनेवाली अन्ना मनी एक भौतिविद होने के साथ साथ एक मौसम वैज्ञानिक (Meteorologists) भी थी उनका मौसम विज्ञान और ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान संबंधी विशेष योगदान है। उन्होंने भारत के महान वैज्ञानिक सी रमन के मार्गनिर्देशन में काम किया था। भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी मणि को ‘भारत की मौसम महिला’ के तौर पर जाना जाता है।

कौन हैं अन्ना मणि?

भारत की वेदर वुमन के नाम से प्रसिद्ध अन्ना मणि का जन्म 23 अगस्त 1918  को केरल के पीरमेद के सीरियाई क्रिश्चियन परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने शुरुआती साल किताबों में डूबे हुए बिताए। 12 साल की उम्र तक, मणि ने अपने सार्वजनिक पुस्तकालय में लगभग हर किताब पढ़ ली थी। मणि ने 1939 में चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से भौतिक और रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल किया।

इसके बाद 1945 में भौतिकी की पढ़ाई करने के लिए में इंपीरियल कॉलेज, लंदन भी गईं।वहां से उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों की विशेषज्ञता हासिल की। 1948 में अन्ना मणि वापस भारत लौटी तो उन्होंने मौसम विभाग में नौकरी की शुरुआत की। अन्ना मणि का प्रदर्शन इतना बेहतरीन था कि 1953 तक वह संभाग की प्रमुख बन गई। उनके नेतृत्व में, 100 से अधिक मौसम उपकरण डिजाइनों को उत्पादन के लिए मानकीकृत किया गया था।

साल 1969 में मणि को भारतीय मौसम विभाग में उप महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। 1976 में वह भारतीय मौसम विभाग की उप-निदेशक पद से सेवानिवृत हुईं। मौसम विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए अन्ना मणि को साल 1987 में INSA K. R. Ramanathan Medal से सम्मानित किया गया था। 16 अगस्त 2001 को तिरुवनंतपुरम में उनका निधन हो गया।वह भारत की सबसे प्रेरक वैज्ञानिकों में से एक थीं और देश भर में लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं।

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