कैसे अरब सागर बना रहा चक्रवाती तूफानों को और खतरनाक, समझें ‘बिपरजॉय’ कनेक्शन
कच्छ तट पर एंट्री की तैयारी कर रहे बिपरजॉय हाल के दशकों में भारत को प्रभावित करने वाला लंबे समय तक बने रहने वाला चक्रवात है। इसकी बड़ी वजह अरब सागर पर चक्रवात के तौर पर 10 दिन बने रहना माना जा रहा है। अब कहा जा रहा है कि अरब सागर पर चक्रवाती तूफानों की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है और ये ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते और भी ज्यादा गंभीर होते जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट की ताजा स्टडी के मुताबिक, चक्रवात लंबे समय तक अरब सागर में बने रहे, जिससे और भी ज्यादा गंभीर तूफानों का जोखिम बढ़ गया है।
स्टडी के अनुसार, बीते 4 दशकों में अरब सागर में चक्रवातों की अवधि में 80 प्रतिशत का इताफा हुआ है। वहीं, गंभीर चक्रवातों की अवधि 260 फीसदी तक बढ़ गई है। जानकार बताते हैं कि चक्रवातों की लंबी अवधि मछली पकड़ने पर भी असर डालती है, जिसके चलते मछुआरों की आजीविका पर भी असर पड़ता है। कहा जाता है कि चक्रवाती तूफान जितना ज्यादा समय तक समुद्र के ऊपर रहता है, उतनी ही ऊर्जा और नमी को जुटाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अब ऐसे में तूफान के और गंभीर होने और लैंडफॉल होने पर तबाही की आशंका में भी इजाफा होता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय मोहापात्रा बताते हैं, फिलहाल तीव्रता के मामले में अति गंभीर है और हवाओं और एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन्स के चलते धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। चक्रवाती तूफान बिपरजॉय के कच्छ जिले और पाकिस्तान के कराची तट के बीच 15 जून को पहुंचने की संभावना के मद्देनजर गुजरात सरकार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल एवं राज्य आपदा मोचन बल के दलों को तटीय इलाकों में तैनात कर रही है तथा छह जिलों में आश्रम केंद्र स्थापित करेगी।