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CM ममता का आप-कांग्रेस को संदेश, ‘चाय बिस्कुट के साथ दिल्ली के अध्यादेश मुद्दे का समाधान करें’

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस से कहा कि वे दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर मतभेदों को बाद में चाय पर दूर करें। उन्होंने उन्हें याद दिलाया कि पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक ऐसे मुद्दे पर चर्चा करने का उचित मंच नहीं है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि बनर्जी स्वयं एक दिन के उपवास पर थीं और चाहती थीं कि अध्यादेश के मुद्दे को लेकर चर्चा पटरी से नहीं उतरनी चाहिए। 

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उन्होंने बताया कि जब ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने जोर दिया कि बैठक के बाद कांग्रेस घोषणा करे कि वह इस मुद्दे पर ‘आप’ का समर्थन करेगी तब बनर्जी ने हस्तक्षेप किया। सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने भाषण में ‘आप’ का इस मुद्दे पर सैद्धांतिक समर्थन किया और कहा कि उनकी पार्टी किसी असंवैधानिक कार्य का समर्थन नहीं करेगी। 

उन्होंने बताया कि खरगे ने कहा कि उनकी पार्टी ने मुद्दे पर चर्चा की एक व्यवस्था बनाई है और उचित समय पर वह घोषणा करेगी। सूत्रों ने बताया कि हालांकि केजरीवाल ने इस दौरान बैठक से बाहर जाने की धमकी नहीं दी। सूत्रों ने बताया कि वहां मौजूद सभी विपक्षी सदस्यों ने कांग्रेस का पक्ष लिया और कहा कि पार्टी का रुख इस मुद्दे पर ‘तार्किक’ है। 

उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान अध्यादेश का मुद्दा नहीं उठाया। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि वह बैठक में खुले मन से आए हैं और ‘‘यहां मौजूद पार्टियों के प्रति पसंद या नापंसद की पूर्व याद को मिटाकर आए हैं।’’ राहुल गांधी ने कहा कि वह और उनकी पार्टी विपक्षी एकता कायम रखने के लिए कुछ भी करेगी। 

उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए उसके वित्तीय, संस्थागत और संवैधानिक का एकाधिकार तोड़ना होगा। सूत्र ने बताया,‘‘संयोग से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री केजरीवाल और राहुल गांधी से लगभग समान दूरी पर बैठी थीं। जब इस मुद्दे पर चर्चा हुई तब उन्होंने हस्तक्षेप किया और कहा कि वे चाय बिस्कुट खाएं। ममता कहा कि बहुत सी समस्याओं का समाधान अच्छी चाय की कप और बिस्कुट पर हो सकता है।’’ 

बैठक के दौरान अपने संबोधन में बनर्जी ने कहा कि यह अहम है कि सभी पार्टी सुनिश्चित करें कि वे कांग्रेस का उन स्थानों पर समर्थन करें जहां वह मजबूत है। उन्होंने कहा कि भाजपा विपक्ष से नहीं बल्कि भारत के लोगों से लड़ रही है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जोरदार तरीके से स्वागत किया और बैठक में उन्होंने दूसरे वक्ता के तौर पर अपना भाषण दिया। 

उन्होंने सुझाव दिया कि वर्ष 2024 के आम चुनाव में विपक्ष की लड़ाई प्रत्येक राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के नेतृत्व में लड़ी जाए। लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस से बड़ा दिल रखने का अनुरोध करते हुए सभी को सुनने के बाद अंत में बोलने पर पार्टी की भावना की प्रशंसा की। बैठक के मेजबान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में सबसे पहले अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 15 विपक्षी पार्टियों ने बैठक में हिस्सा लिया है और कम से कम 10 दल जल्द जुड़ेंगे। केजरीवाल ने कहा कि वर्ष 2024 के चुनाव का मूलमंत्र ‘‘राष्ट्र पहले, पार्टी दूसरे’ पर होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब पार्टी अपने विरोधी साझेदार के लिए सीटें छोड़ेंगी तब उनकी जीत संयुक्त मोर्चा के तौर पर होनी चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि यह पार्टियों के लिए विस्तार का समय नहीं है और ध्यान केवल चुनाव पर नहीं होना चाहिए बल्कि मुद्दों पर भी समझौता होना चाहिए। विपक्षी दलों द्वारा बनाए जाने वाले गठबंधन का संदर्भ देते हुए द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता एम के स्टालिन ने कहा कि प्रत्येक राज्य में पार्टियों के बीच समझ की अलग-अलग परिपाटी है। 

स्टालिन के विचार का समर्थन करते हुए नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रत्येक सीट पर भाजपा के साथ आमने-सामने की लड़ाई संभव नहीं है और सीट बंटवारे के अलग तरीके पर काम किया जा सकता। सभी विपक्षी पार्टियों ने सहमति जताई कि फिलहाल वे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार पेश नहीं करेंगे। शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विपक्षी पार्टियों की भावना को रेखांकित किया। 

ठाकरे ने विपक्ष का उल्लेख ‘देशप्रेमी’ और ‘प्रजांतत्र प्रेमी’ के तौर पर किया। वहीं, यादव ने कहा कि बड़ा मंच बनाने के लिए बड़े दिल की भी जरूरत है। झारखंड मुक्त मोर्चा ने सुझाव दिया कि विपक्ष को केवल 2024 चुनाव पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि आगामी पांच विधानसभा चुनावों पर भी गौर करना चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी ने कहा कि जनता जिन मुश्किलों का सामना कर रही है वे मुद्दे भी उठाए जाने चाहिए। 

सूत्रों ने बताया कि सभी विपक्षी दलों ने सहमति जताई कि मणिपुर सरकार को घेरा जाये और यह आशंका जताई कि मणिपुर ‘‘ दूसरा जम्मू-कश्मीर बन सकता है।’’ सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों की अगली बैठक जुलाई के दूसरे हफ्ते में शिमला में होगी और उसके बाद तीसरी बैठक किसी दक्षिणी राज्य में होगी। 

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