महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग तेज, रामदास अठावले ने कहा – “मांग में दम है”

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास अठावले
Aurangzeb’s Tomb Controversy : महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) में स्थित मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राज्य सरकार से इसे जल्द हटाने की मांग की है। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस मांग में “दम है”।
रामदास अठावले ने कहा कि राज्य सरकार को दोनों पक्षों से बातचीत करनी चाहिए ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे। उन्होंने आगे कहा कि औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग उचित है क्योंकि उसने बहुत अत्याचार किए थे। उनका कहना है कि ऐतिहासिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर निर्णय लेना चाहिए।
औरंगजेब क्रूर शासक था
मीडिया से बातचीत में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता रामदास अठावले ने कहा कि इस मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह सच है कि औरंगजेब क्रूर शासक था। उसने छत्रपति संभाजी महाराज (शिवाजी महाराज के बेटे) को बेरहमी से मारा था, लेकिन वह मराठा साम्राज्य को जीतने में नाकाम रहा और अंततः महाराष्ट्र में ही उसकी मृत्यु हो गई।
महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग लंबे समय से चल रही है, लेकिन हाल ही में इस पर बहस तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने कहा था कि औरंगजेब एक महान शासक थे और उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण कराया था। उनके इस बयान के बाद बीजेपी और हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कब्र हटाने की मांग तेज कर दी। बीजेपी सांसद उदयनराजे भोसले ने बुलडोजर से कब्र हटाने की बात कही, वहीं सांसद नवनीत राणा ने भी इस मांग का समर्थन किया।
औरंगजेब की कब्र ASI के संरक्षण में है
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर कहा कि औरंगजेब की कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है और इसे हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का विषय है कि क्या यह कब्र हटाई जानी चाहिए। इसे हटाने के लिए जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जा सकता।
संरक्षित स्मारक को हटाने के लिए संविधान का पालन जरूरी
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत, किसी संरक्षित स्मारक को हटाने या उसमें बदलाव करने के लिए संविधान और कानून का पालन करना जरूरी है। 1958 के Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act के तहत, किसी ऐतिहासिक स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाता है और इसे सरकार की मंजूरी के बिना हटाया नहीं जा सकता।
फिलहाल औरंगजेब की कब्र पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई पर विचार कर रही है। इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक बहस लगातार जारी है।
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