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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाभारत, रामायण और मुगल शासकों का ज़िक्र करते हुए कहा, ‘गौरक्षा, हिंदुओं के मौलिक अधिकार में हो शामिल’

लखनऊ। यूपी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक मुकदमे की कार्यवाही के दौरान गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को ऐसे बिल लाने चाहिए जिससे गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जा सके।

‘संस्कृति को भुलाना देश के लिए हितकारी नहीं’- इलाहाबाद हाईकोर्ट

कोर्ट ने इस दौरान महाभारत, रामायण से लेकर बाबर, हुमायूँ और अकबर तक का जिक्र करते हुए कहा कि ‘गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि देश की संस्कृति और आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है। चाणक्य ने लिखा है कि यदि किसी देश को नष्ट करना हो तो सबसे पहले उसकी संस्कृति को नष्ट कर दो, देश अपने आप नष्ट हो जाएगा।‘

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंत में ये भी कहा कि ‘हमने जब-जब अपनी संस्कृति को भुलाया है, विदेशियों ने तब-तब हम पर आक्रमण कर दिया है और यदि आज भी हम नहीं जागे तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे। अफगानिस्तान पर तालिबान के आक्रमण और कब्जे को भी हमें नहीं भूलना चाहिए।’

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में कामधेनु, सुरभि आदि गायों के महत्व का वर्णन तो है ही, इसके अलावा भी गाय हिंदुओं की पूजा-विधि उनकी संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। हिंदुओं के साथ-साथ मुगल सम्राट भी गाय के महत्व को अस्वीकार नहीं कर सके थे।

मुगलों ने भी गाय के महत्व को माना था, अकबर करता था नमन

  • मुगल शासक बाबर ने अपने शासन काल के दौरान गाय की कुर्बानी पर प्रतिबंध लगाया था।
  • हुमायूँ ने मरने से पहले गाय, महिलाओं और ब्राह्मणों का सम्मान करने की बात कही थी।
  • बाबर ने जहाँ गाय की कुर्बानी न देने का हुक्म दिया था, वहीं अकबर ने एक कदम आगे बढ़कर गौ-हत्या करने वालों के लिए मौत की सजा मुकर्रर कर रखी थी।
  • इसके अलावा अकबर सभी संस्कृतियों का सम्मान करता था। उसने संस्कृत, हिंदुस्तानी, फारसी, यूनानी, लातिन, अरबी और कश्मीरी में 24 हजार वॉल्यूम संकलित कर रखे थे और इन्हें सहेजने के लिए एक बेहतरीन लाइब्रेरी की भी स्थापना करवाई थी। इसी वजह से अकबर का काल हिंदी साहित्य का ‘स्वर्ण काल’ कहा जाता है। उसने हिंदुओं की धार्मिक यात्राओं पर लगने वाले टैक्स को भी हटाया था। अपने मंत्री बीरबल से प्रभावित होकर अकबर ने प्राकृतिक तत्वों जल, पत्थर, पेड़, जीव-जन्तु और सभी की पूजा करनी शुरू कर दी थी। यहाँ तक कि वह गाय के सामने झुककर प्रणाम करता था और गाय के गोबर को भी उच्च दर्जा देता था।

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