चाँद पर जाने के बाद अब चाँद से वापस आने की तैयारी में ISRO, विक्रम की हॉप परीक्षण में दिखा नमूना

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भारत ने चंद्रमा के तीसरे मिशन, चंद्रयान-3, के बाद अब ऐसे मिशनों के लिए विशेषज्ञता विकसित करने का काम शुरू किया है जिनसे नमूने पृथ्वी पर लौटाने की क्षमता हो। इसके लिए हॉप एक्सपेरिमेंट नामक प्रयोग का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है, जिससे भविष्य के मून मिशन के लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है। इस प्रयोग ने दिखाया कि इसरो अब विशेष तरीके से खगोलीय वस्तु से उड़ान भरने की क्षमता को विकसित कर रहा है। विक्रम की हॉप परीक्षण ने यह दिखाया कि इसरो तैयार है अंतरिक्ष मिशनों के दौरान नमूनों को सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापस लाने के लिए।

इसके साथ ही इसरो ने जापान के साथ मिलकर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) परियोजना पर काम करने का भी एलान किया है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर पानी और अन्य संसाधनों का पता लगाना और उसकी सतह की खोज करना है।

विक्रम की हॉप पर इसरो ने कहा

कुछ देशों ने किसी अन्य खगोलीय वस्तु से उड़ान भरने की क्षमता का प्रदर्शन किया है. इसी क्रम में 3 सितंबर को विक्रम लैंडर ने 40 सेमी की ऊंचाई तक जाने और फिर से वापस उतरने के लिए अपने रॉकेट दागे जो एक महत्वपूर्ण परीक्षण था। विक्रम की हॉप पर इसरो ने उस वक्त कहा था, “विक्रम फिर से सॉफ्ट लैंडिंग पर उतरा! विक्रम लैंडर ने अपने मिशन के उद्देश्यों को पार कर लिया। यह सफलतापूर्वक एक हॉप प्रयोग से गुजरा।”

इसरो ने आगे कहा था, “कमांड देने पर, इसने इंजन चालू कर दिए, उम्मीद के मुताबिक खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उठाया और 30 – 40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित रूप से उतर गया।” अंतरिक्ष एजेंसी जापान के साथ एक चंद्र मिशन, लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) परियोजना के लिए भी काम कर रही है, चंद्रमा पर पानी और अन्य संसाधनों का पता लगाने और इसकी सतह की खोज में विशेषज्ञता हासिल करने की एक पहल है।

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