तुलबुल प्रोजेक्ट को लेकर छिड़ गई जुबानी जंग, भिड़े महबूबा-उमर, जानें भारत के लिए क्यों है अहम ?

Jammu and Kashmir

Jammu and Kashmir Tulbul Project

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Jammu and Kashmir Tulbul Project : जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बार फिर तुलबुल प्रोजेक्ट को लेकर राजनीति गरमाई है. इस मुद्दे को लेकर (बुधवार) जुबानी जंग उस समय छिड़ी जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती आमने सामने थे. यह लड़ाई तब शुरू हुई, जब उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि (IWT) के सस्पेंड रहने के मद्देनजर वुलर झील पर प्रोजेक्ट तुलबुल का काम दोबारा से शुरू कराने की बात कही. उनका इतना कहना था कि यह बात महबूबा मुफ्ती को नागवार गुजरी जिसके बाद उमर के इस बयान  को उन्होंने ‘खतरनाक’ और ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताया.

जुबानी जंग के बीच महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला

दूसरी और मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ ‘ऐतिहासिक विश्वासघात’ है जिसको वह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि वह सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने में लगी हैं. उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच इस जुबानी जंग में तुलबुल प्रोजेक्ट विशेषज्ञों की राय से देखा जाए तो भारत के लिए यह प्रोजेक्ट लंबे समय के फायदेमंद ही साबित हुआ है.

दरअसल प्रोजेक्ट तुलबुल को न सिर्फ कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ा जा रहा है, बल्कि भारत रणनीतिक प्राथमिकताओं में भी बेहद अहम है. खासकर तब, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) को सस्पेंड किया था.

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जानें क्या है तुलबुल प्रोजेक्ट?

बता दें कि तुलबुल प्रोजेक्ट को वुलर बैराज कहा जाता है. यह जम्मू-कश्मीर के जिले बारामूला में स्थित है. वुलर झील के मुहाने पर प्रस्तावित एक लॉक-कम-कंट्रोल स्ट्रक्चर है. जिसका कार्य झेलम नदी में जल प्रवाह को नियंत्रित करना होता है, ताकि अक्टूबर से फरवरी में जब पानी की मात्रा कम जाए तो तब भी नाविक यातायात बना रहे. वहीं इस प्रोजेक्ट के जरिए जल परिवहन को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ बाढ़ नियंत्रण में भी मदद मिलती है.

पाकिस्तान क्यों कर रहा है विरोध?

बात 1987 की है जब भारत ने इस परियोजना काम करना शुरू किया था. उस वक्त भी पाकिस्तान ने इसका विरोध करते हुए इसे सिंधु जल संधि का उल्लंघन बताया था. एक दावा करते हुए पाकिस्तान ने बताया कि यह परियोजना एक ‘स्टोरेज बैराज’ है और संधि के मुताबिक भारत को झेलम नदी की मुख्य धारा पर जल संग्रहण की अनुमति नहीं दी गई है. एक तर्क देते हुए पाकिस्तान ने कहा कि यह 0.3 मिलियन एकड़ फीट का ढांचा है. जो पानी संग्रह कर सकता है.

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