
THE World Reputation Rankings 2025 : टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) ने अपनी वर्ल्ड रेपुटेशन रैंकिंग 2025 जारी कर दी है, जिसमें भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन में गिरावट देखी गई है। इस बार, आईआईएससी (IISC), आईआईटी दिल्ली, और आईआईटी मद्रास की रैंकिंग पिछले साल के मुकाबले काफी नीचे आ गई है। हालांकि, एक नया नाम, Shiksha ‘O’ अनुसधान, पहली बार इस लिस्ट में शामिल हुआ है। इसके अलावा, पिछले साल रैंकिंग में शामिल आईआईटी बॉम्बे इस बार लिस्ट से बाहर हो गया है।
भारतीय विश्वविद्यालयों की स्थिति:
- Indian Institute of Science (IISC) – पिछले साल 101-125 रैंक पर रहने वाला IISC अब 201-300 रेंज में आ गया है।
- Indian Institute of Technology Delhi (IIT Delhi) – IIT दिल्ली की रैंकिंग भी पिछले साल के 151-175 से गिरकर 201-300 के बीच पहुंच गई है।
- Indian Institute of Technology Madras (IIT Madras) – IIT मद्रास की रैंकिंग भी पिछले साल 176-200 से गिरकर 201-300 के बीच हो गई है।
- Shiksha ‘O’ अनुसधान – यह संस्थान पहली बार इस लिस्ट में शामिल हुआ है, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक सकारात्मक बदलाव है।
दुनिया की टॉप प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की रैंकिंग:
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (संयुक्त राज्य अमेरिका) – हार्वर्ड लगातार 14वें साल दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी बनी रही है।
- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम) – दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं।
- स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज (संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम) – ये दोनों संस्थान चौथे स्थान पर हैं।
- यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले (संयुक्त राज्य अमेरिका)
- प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (संयुक्त राज्य अमेरिका)
- सिंधुआ यूनिवर्सिटी (चीन) – सिंधुआ विश्वविद्यालय ने आठवां स्थान बनाए रखा है।
- येल यूनिवर्सिटी (संयुक्त राज्य अमेरिका)
- यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो (जापान) – जापान का यह विश्वविद्यालय 10वें स्थान पर है।
भारतीय विश्वविद्यालयों का गिरता प्रदर्शन
भारत के प्रमुख संस्थान इस बार THE की वर्ल्ड रेपुटेशन रैंकिंग में पिछड़ गए हैं, जबकि पिछले साल इनकी स्थिति बेहतर थी। हालांकि, Shiksha ‘O’ अनुसधान का इस लिस्ट में पहला स्थान प्राप्त करना एक सकारात्मक संकेत है। भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को इस बदलाव को लेकर गंभीरता से सोचना होगा, ताकि भविष्य में उनकी स्थिति में सुधार हो सके।
यह रैंकिंग न केवल विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा को दिखाती है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संकेत है।
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