
Katehari By Election Result: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। यह सीट विधायक रहे लालजी वर्मा के सांसद बन जाने से खाली हुई थी। बीजेपी इस सीट पर 1991 के बाद से नहीं जीती थी।
कटेहरी में 33 साल बाद चुनावी जीत का कमल खिल गया है। इससे पहले साल 1991 में इस सीट पर बीजेपी के अनिल तिवारी जीते थे। इसके बाद से पार्टी ने यहां कई प्रयोग किए लेकिन जीत दर्ज करने में सफलता नहीं मिल पाई। जिन धर्मराज के हाथों यहां पार्टी कई बार पराजित हुई। अब उन्हीं को प्रत्याशी बनाने पर पार्टी यहां लगा तार हार का सिलसिला तोड़ पाने में सफल हुई।
कटेहरी सवर्ण दबदबे वाली सीट
कटेहरी में बीजेपी को तीन दशक से भी अधिक समय से जीत का इंतजार बना था। यही हाल अकबरपुर विधानसभा सीट का भी है। लेकिन कटेहरी को सवर्ण दबदबे वाली सीट माना जाता है। इसके बाद भी यहां चुनाव दर चुनाव बीजेपी के हिस्से में हार आती रही। साल 1991 में जब अकबरपुर से शिवसेना से पवन पांडेय विजयी होकर विधायक बने थे तो उसी चुनाव में कटेहरी से अनिल तिवारी जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। उन्होंने बीएसपी के रामदेव वर्मा को करीब 7 हजार मतों से हराया था।
एकतरफा जीत दर्ज की
साल 1993 के विधानसभा चुनाव में रामदेव वर्मा ने बसपा के टिकट पर एकतरफा जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी के अनिल तिवारी को 40 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया। साल 1996 में बसपा के धर्मराज ने बीजेपी से लड़ रहे अनिल तिवारी को 5764 मतों से पीछे छोड़ दिया। 2002 के सामान्य चुनाव में बीजेपी ने यह सीट समता पार्टी को दे दी। उसके प्रत्याशी केके त्रिपाठी 13852 मतों के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गए। साल 2007 के चुनाव में भी बीजेपी नहीं लड़ी। जनता दल यू के केके त्रिपाठी को 3532 मत मिले।
र्मराज को ही महत्व दिया
साल 2012 के चुनाव में बीजेपी के रमाशंकर सिंह पराजित हुए। तो 2017 में बीजेपी के अवधेश द्विवेदी करीब 6 हजार वोटों से हार गए। साल 2022 में बीजेपी ने यह सीट निषाद पार्टी के खाते में दे दी। निषाद पार्टी से भी अवधेश चुनाव लड़े लेकिन तब भी नहीं जीत पाए। अब तीन दशक बाद बीजेपी ने धर्मराज निषाद पर भरोषा जताया। इस सीट पर कई सवर्ण दावेदार थे लेकिन पार्टी ने धर्मराज को ही महत्व दिया।
बसपा सरकार में मंत्री रह चुके धर्मराज निषाद ने कटेहरी में पहली जीत बसपा के ही टिकट पर साल 1996 में दर्ज की थी। वे पांच वर्ष बाद हुए चुनाव में फिर से बसपा के टिकट पर विधायक चुन लिए गए। 2007 में भी वह कटेहरी से विधायक बने लेकिन जीत का अंतर लगातार कम होता गया। इस पर बसपा ने उन्हें वर्ष 2012 के चुनाव में पड़ोसी जनपद जौनपुर की शाहगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया।
फिर से कटेहरी की तरफ लौटे
यहां वे सपा के ललई यादव के हाथों पराजित होकर दूसरे स्थान पर रहे। साल 2017 के चुनाव में उन्हें अयोध्या जनपद की गोशाईगंज सीट पर बसपा ने मौका दिया। यहां बीजेपी के खब्बू तिवारी जीते तो दूसरे पर सपा के अभय सिंह रहे। धर्मराज निषाद को तीसरे स्थान पर खिसक जाना पड़ा। इसके बाद धर्मराज ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। बीजेपी ने उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में अकबरपुर से मौका दिया। वे सपा के रामअचल राजभर के हाथों पराजित होकर दूसरे स्थान पर रहे। अब उपचुनाव में वे फिर से कटेहरी की तरफ लौटे।
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