
राजधानी दिल्ली में एक तरफ बाढ़ जैसे हालात से बुरा हाल है। यमुना का जलस्तर बढ़ने से जन जीवन प्रभावित हो गया है। सड़कें पानी से लबालब हो गई हैं। वहीं अब इस पर केंद्र और दिल्ली के केजरीवाल सरकार के बीच टकराव देखने को मिला। आपको बता दें कि आज यानी शुक्रवार (14 जुलाई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण करने और स्थिति का जायजा लेने पहुंचे।
इसी बीच दोनों मीडिया से मुखातिब हुए, जहां दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सीएम केजरीवाल की मौजूदगी में एलजी से अधिकारियों की शिकायत की।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि गुरुवार रात आईटीओ क्षेत्र में बाढ़ का कारण बने क्षतिग्रस्त जल नियामक को ठीक करने के लिए एनडीआरएफ टीमों को तैनात करने के लिए अधिकारियों से संपर्क किया, बावजूद इसके उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि हमने कल रात वॉट्सऐप ग्रुप पर मुख्य सचिव को एनडीआरएफ को बुलाने के लिए कहा, नहीं तो पानी दिल्ली के संवेदनशील इलाकों में घुस सकता है, लेकिन हमारे मैसेज को नजरअंदाज कर दिया गया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर रात के समय ही मदद मिल जाती तो ज्यादा अच्छा होता।
इसके एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि यह समय टीम वर्क का है, एक-दूसरे पर दोष लगाने का नहीं। मैं भी बहुत कुछ कह सकता हूं, लेकिन फिलहाल यह जरूरी नहीं है।
इसको लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से ट्वीट कर कहा गया है कि कैसे मोदी सरकार के ‘काले अध्यादेश’ के कारण दिल्लीवालों की जान के साथ हुआ खिलवाड़। कल रात से ग्राउंड जीरो पर काम कर रहे मंत्री सौरभ भारद्वाज अधिकारियों को NDRF-Army बुलाने का आदेश देते रहे, लेकिन अधिकारियों ने एक नहीं सुनी। जिसके कारण तत्काल मदद पहुंचने की जगह 12 घंटे बाद मदद पहुँच पाई। अध्यादेश के बाद अधिकारी LG के अधीन आते हैं और अब वो LG की ही बात मानते हैं। कोई और राज्य होता तो सरकार के आदेश की अवहेलना करने और लोगों की जान ख़तरे में डालने के जुर्म में इन अधिकारियों को बर्खास्त करने के साथ जेल में डाल दिया जाता।