मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगे सुझाव, कहा,’कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारा नहीं सरकार का काम’

सीजेआई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि इन कार्यवाहियों का इस्तेमाल हिंसा और अन्य समस्याओं को और बढ़ाने के मंच के रूप में किया जाए। हमें सचेत रहना चाहिए कि हम सुरक्षा या कानून व्यवस्था नहीं चला रहे हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज मणिपुर की स्थिति पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून और व्यवस्था नहीं चला सकता है। ये काम चुनी हुई सरकार का है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मणिपुर की स्टेटस रिपोर्ट पेश की। अदालत ने यह रिपोर्ट कुकी समुदाय को दी है और उनसे कल तक सकारात्मक सुझाव देने को कहा। इस मामले पर मंगलवार को भी सुनवाई होगी।
राज्य में इंटरनेट बैन जारी रहेगा या नहीं, इस मामले में भी कल सुनवाई होगी। राज्य में हिंसा भड़कने के बाद 3 मई को इंटरनेट बैन किया गया था। आपको बता दें कि 7 जुलाई को मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य में लगे इंटरनेट पर बैन हटाने का निर्देश दिया था।
बता दें कि मणिपुर हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट मे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच सुनवाई कर रही है। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि राज्य के लिए किसी तरह की गलत बयानबाजी तनाव और बढ़ा सकती है।
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा-
याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि राज्य में हालत बहुत गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पहले स्टेटस रिपोर्ट पढ़ना चाहते हैं। सीजेआई ने याचिकाकर्ता के वकील गोंजाल्विस से कहा कि आप कोई ठोस सुझाव लेकर मंगलवार को आइए। हम इस पर कल ही सुनवाई करेंगे। राज्य सरकार की स्टेटस रिपोर्ट भी देखिए उसके बाद आपके पास भी कुछ ठोस सुझाव है तो कोर्ट को बताइए।
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा-
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा, इस रिपोर्ट को देखकर अपनी तरफ से सुझाव दें। हम कल सुनवाई करेंगे। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने मांग की कि ड्रग्स और अपराध को लेकर UN रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड पर लिया जाए। इससे मणिपुर में जो हो रहा है, उसे समझने में मदद मिलेगी।
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