
चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021 को सरकार ने सोमवार को लोकसभा में पेश किया। लेकिन सदन में हंगामे के कारण कार्यवाही रोकनी पड़ी।
इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि आधार निवास का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।
जिससे नई बहस छिड़ गई है।
शशि थरूर ने कहा, आधार सिर्फ निवास के प्रमाण के लिए बना था, ये नागरिकता का प्रमाण नहीं हो सकता। अगर आप मतदाताओं से आधार मांगते हो, ये दस्तावेज केवल निवास का प्रमाण होता है, नागरिकता का नहीं।
संभवत आप इससे जो नागरिक नहीं हैं, उन्हें वोट देने का अधिकार दे रहे हैं।
निजता के अधिकार का उल्लंघन
इसके अलावा ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM के प्रमुख असदद्दीन ओवैसी ने भी चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध करने का फैसला किया था।
इस कानून के तहत आधार को वोटर आईडी से लिंक करने का प्रस्ताव है।
ओवैसी ने इस संबंध में सचिवालय को भी नोटिस भेजा है।
ओवैसी ने अपने नोटिस में कहा है कि आधार को वोटर आईडी से लिंक करने का प्रस्ताव निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

जन प्रतिनिधि कानून 1950 और 1951 में बदलाव का प्रस्ताव
नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021 को मंज़ूरी दे दी है और सोमवार को लोकसभा में पेश भी कर दिया गया है।
इस बिल के तहत जन प्रतिनिधि कानून 1950 और जन प्रतिनिधि कानून 1951 में बदलाव का प्रस्ताव है।
सरकार का मानना है कि मतदाता सूची में बदलाव और फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए आधार को वोटर आईडी से जोड़ने का प्रस्ताव है।