
लखनऊ। नेपाल की पहाड़ियों पर लगातार हो रही बारिश से उत्तर प्रदेश के बस्ती और गोरखपुर मंडल में बाढ़ आ गई है। दोनों मंडलों के 756 गांव बाढ़ पीड़ित हैं। लगभग पांच लाख की आबादी मुश्कलों में है। हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं। ज्यादातर लोग घर छोड़ कर चले गये हैं। कुछ परिवारों ने बांधों पर शरण ले ली है। जिससे नदियों के बांधों पर भी भारी दबाव हो गया है।
खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं नदियां
गोरखपुर से होकर बहने वाली छह नदियां खतरे के निशान से ऊपर होकर बह रही हैं। गोर्रा, सरयू, कुआनो और आमी नदी का निरंतर बढ़ता हुआ जलस्तर भयभीत कर रहा है। राप्ती नदी खतरे के निशान से 1.97 मीटर ऊपर बह रही है। घाघरा नदी 35 सेंटीमीटर ऊपर, गोर्रा और राप्ती नदी के जलस्तर में 10 सेंटीमीटर की बढ़ोत्तरी दर्ज़ की गई है।
शहरी क्षेत्र का हर्वर्ट बांध रिसने लगा है, जिसकी वजह से नेताजी सुभाष चंद्र बोसनगर के लोग डरे हुए हैं। इसके अलावा नौसड़ बांध, कौड़ीराम क्षेत्र में बेला मलाव बांध से भी रिसाव हो रहा है। सहजनवां क्षेत्र के बोक्टा-बरवार बांध के पास बोल्डर पिचिंग धंस गया है। और अब उस पर कटान का खतरा बढ़ता जा रहा है। बहबोलिया बांध धंस गया है।
NDRF ने छह लोगों को निकाला सुरक्षित
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार नेपाल की पहाड़ियों पर हो रही बारिश का पानी नदियों में आ रहा है। इसका पता इस बात से लगता है, कि बैराज से अभी पानी छोड़ा नहीं गया है। यदि बैराज से पानी छूटा तो स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी।
दूसरी तरफ, सिद्धार्थनगर के 317 गांव, महराजगंज के 78 गांव और बस्ती जिले के 53 गांव बाढ़ पीड़ित हैं। कुछ जगहों पर लोग फंसे हुए हैं। NDRF (National Disaster Response Force) टीम ने लक्ष्मीपुर ब्लॉक के अमहवा गांव में बाढ़ में फंसे छह लोगों को सुरक्षित निकाला है।
संतकबीरनगर जिले की धनघटा तहसील में सरयू नदी के बाढ़ से 38 गांव प्रभावित हैं। देवरिया की चारों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। 70 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं।
कुल मिलाकर गोरखपुर में 181 गांव, सिद्धार्थनगर में 317 गांव, महराजगंज के 78 गांव, बस्ती जिले के दो तहसीलों के 53 गांव, संतकबीरनगर में 38 गांव, देवरिया में 70 गांव, कुशीनगर के 9 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिससे जन-जीवन काफी प्रभावित हुआ है।