धातु खनन प्रदूषण से 2.30 करोड़ प्रभावित, साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में खुलासा
दुनिया भर में लगभग 2.30 करोड़ लोग धातु खनन से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित हैं। शोध से पता चलता है कि जहरीला खनन कचरा पूरे मैदान में फैला हुआ है। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर की नदियों और बाढ़ के मैदानों में धातु खनन से होने वाले प्रदूषण से जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
संदर्भ शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में लगभग 185,000 धातु खदानों के डेटा की जांच की। इस अध्ययन में सीसा, जस्ता, तांबा और आर्सेनिक जैसे संभावित हानिकारक संदूषकों की जांच की गई। इन्हें खनन कार्यों से नीचे की ओर ले जाया जाता है और अक्सर लंबे समय तक नदियों और बाढ़ के मैदानों में जमा हो जाते हैं। इंग्लैंड में लिंकन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री मैकलीन ने कहा कि नदियों और मैदानों में खनन अपशिष्ट बढ़ रहा है और यह भविष्य के लिए एक बड़ी समस्या है। शोधकर्ताओं के निष्कर्षों के अनुसार, लगभग 23 मिलियन लोग बाढ़ के मैदानों में रहते हैं जहाँ खनिज अपशिष्ट केंद्रित हैं। इसमें 57 मिलियन से अधिक जानवर और 65,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक आर्द्रभूमि भी शामिल हैं।
त्वचा और सांस लेने के लिए हानिकारक
शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे विभिन्न तरीके हैं जिनसे लोग इन दूषित धातुओं के संपर्क में आ सकते हैं। उनमें से एक त्वचा संपर्क है, जो आकस्मिक अंतर्ग्रहण, दूषित धूल के कारण सांस लेने में कठिनाई और दूषित पानी के कारण जहरीले रसायनों के अंतर्ग्रहण का कारण बनता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत जैसे देशों में यह स्थिति अधिक गंभीर है, जो निम्न और मध्यम आय वर्ग में आते हैं। ऑस्ट्रेलिया में क्वींसलैंड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर दीना केम्प ने कहा कि खनन से लंबी अवधि में डाउनस्ट्रीम को व्यापक नुकसान हो सकता है। खनन और धातु निष्कर्षण से बहुत से लोगों को लाभ होता है, लेकिन हमें प्रभावित क्षेत्रों में रहने और काम करने वाले लोगों की रक्षा करने की भी आवश्यकता है।