Dehradun: चकराता के 15 गांव ने किया चुनाव का बहिष्कार
Dehradun: राजनीतिक दलों के प्रति उदासीनता, शादियों का सीजन, गर्मी का असर, मतदान बहिष्कार और तीन दिन की छुट्टी का वीकेंड पैकेज। ये वो पांच कारण हैं, जिन्हें उत्तराखंड के मतदान प्रतिशत बढ़ने से रोकने की वजह माना जा रहा है। लेकिन प्रदेश में चुनाव बहिष्कार , मत प्रतिशत में गिरावट का मुख्य कारण बताया जा रहा है। नतीजा यह है कि जहां उत्तराखंड के मतदान प्रतिशत को 75 के आंकड़े पर लाने के दावे किए जा रहे थे, वो पिछले लोकसभा चुनाव के मत प्रतिशत को भी नहीं छू पाया। यहां तक कि फरवरी से मतदाता जागरूकता के लिए बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे सभी अभियान बेअसर साबित हुए।
Dehradun: 35 से ज्यादा गांवों के लोगो ने इस बार मतदान का बहिष्कार किया
बुनियादी सुविधाओं के अभाव के विरोध में राज्य में 35 से ज्यादा गांवों के लोगो ने इस बार मतदान का बहिष्कार किया। हैरानी तब हुई जब जौनसार बावर चकराता में पहली बार यहां के पंद्रह गांवों के ग्रामीणों ने चुनाव में वोट नहीं दिए। बता दें कि द्वार में सात और विशलाड़ में आठ गांव शामिल हैं।तमाम कोशिशों के बाद भी खत द्वार और विशलाड़ के ग्रामीणों को मनाने की कोशिशें नाकाम रहीं। सड़क न बनने से नाराज पंद्रह गांवों के चार हजार मतदाताओं ने चुनाव बहिष्कार किया।
बूथों पर दिन भर पोलिंग पार्टियां मतदाताओं के इंतजार में बैठी रही। दांवापुल-बैरावा मोटर मार्ग के चौड़ीकरण, सुधारीकरण की मांग कर रहे हैं। इसके लिए कई बार आंदोलन हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण तो दूर उन्हें कोई आश्वासन तक नहीं मिला। जिसके बाद लोकसभा चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया। ग्रामीण इसे मजबूरी में लिया गया मुश्किल फैसला बता रहे हैं।
वहीं चकराता में 15 गांव द्वारा किए गए बहिष्कार का असर राजनीतिक पार्टियों में भी दिख रहा है । भाजपा और कांग्रेस बहिष्कार को लेकर बयानबाजी करते नजर आ रहे हैं। चकराता से चुनाव बहिष्कार को लेकर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगा रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि चकराता से कई बार कांग्रेस के प्रितम सिंह विधायक रहे हैं कैबिनेट मंत्री रहे हैं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं ऐसे में इसका जवाब कांग्रेस को देना चाहिए।
वहीं कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी का कहना है की प्रीतम सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं है वह चकराता के विधायक है। लेकिन सरकार भाजपा की है और जहां-जहां कांग्रेस के विधायक हैं उनके क्षेत्रों को नजरअंदाज किया जा रहा है वहां पर विधायक निधि के अलावा जो योजनाएं हैं वह जनता तक नहीं पहुंच रही। यानी कि भारतीय जनता पार्टी पक्षपात कर रही है। नवीन जोशी ने कहा कि जहां-जहां चुनाव का बहिष्कार हुआ है वह भाजपा की नाकामी है।
उत्तराखंड में बड़ी संख्या में चुनाव बहिष्कार से ये साफ हो गया है की जनता को राजनीतिक पार्टियों ने निराश किया है लेकिन अब यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है कि पिछली बार की अपेक्षा लगभग साढ़े पांच प्रतिशत कम मतदान, यानी वोटर टर्न आउट का रिवर्स स्विंग भाजपा या कांग्रेस, किसे रास आएगा और कौन बाजी मार जायेगा।
यह भी पढ़ें: Kanpur: 13 मई को बड़े अंतर से जीतेंगे, कार्यकर्ता कहें तो आज ही जीत का ताज पहना दें- केशव प्रसाद मौर्य
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरो को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप