3 नए शहरों पर तालिबान का कब्जा, भारत, अमेरिका समेत 12 देशों ने बंदूक वाली सरकार को मान्यता देने से किया इनकार

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काबुल: कतर की राजधानी दोहा में आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में दुनिया के कई देशों ने अफगानिस्तान में हो रहे बर्बरता पर चिंता जाहिर किया है। इस सम्मेलन में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कतर, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, जर्मनी, नॉर्वे, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल थे। 

अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। जिसमें अमेरिकियों से तत्काल उपलब्ध कमर्शियल फ्लाइट्स से अफगानिस्तान जल्द से जल्द छोड़ने के आग्रह किया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी का मानना है कि तालिबान कुछ महीनों में पुरी तरह से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेगा। बीते समय में तालिबान ने कंधार की जेल को तोड़ कर कई राजनैतिक कैदियों को छुड़ा लिया है। तालिबान ने 34 में से 13 प्रांतो पर कब्जा करने का दावा किया है।

गरूवार को ही तालिबान ने ग़ज़नी प्रांत पर कब्जा किया था।

तालिबान ने सलमा डैम पर किया कब्जा, प्रधानमंत्री मोदी ने किया था उद्धाटन

तालिबान के प्रवक्ता युसूफ अहमदी ने बताया कि तालिबान ने सलमा डैम पर किया कब्जा कर लिया है। कई दिनों से इस बांध पर तालिबान कब्जा करना चाहता था। सलमा डैम का उद्धाटन नरेंन्द्र मोदी ने जून 2016 में किया था। ये डैम हेरात प्रांत के चिश्ती शरीफ जिले में भारत के सबसे महत्वपुर्ण परियोजनाओं में से एक है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की मदद से किया इनकार

अमेरिका के राष्ट्रपति जो. बाइडन ने अफगानिस्तान को अपनी लड़ाई खुद लड़ने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा है हमने 20 वर्षों में अफगानिस्तान में कई अमेरिकी सैनिकों को खोया है, हमने 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की राशि अफगानिस्तान की सुरक्षा पर खर्च की है। दूसरी तरफ पुर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में हो रही घटना के लिए बाइडन को जिम्मेदार बताया है।

उन्होंने कहा कि “अगर मैं उनकी जगह होता तो हालात कुछ और होते। अगर मैं राष्ट्रपति होता तब तालिबान के साथ समझौतों के साथ सेना की वापसी करता”।

क्या है तालिबान का इतिहास

1994 में कंधार की एक मस्जिद से लगभग 50 लोगों से तालिबान का सफ़र शुरू हुआ। 1996 तक तालिबान की अफ़ग़ानिस्तान पर पकड़ इतनी मज़बूत हो गई कि राजधानी काबुल पर भी उस समय तालिबानियों ने कब्ज़ा कर लिया। 1996 में कई प्रांतों को जीतने के बाद तालिबान ने कड़े नियम बनाए जो कि महिलाओं के लिए पाबंदी ग्रस्त थे। जैसे कि बुर्का पहनने का फरमान जारी करना, दस साल की उम्र के बाद लड़कियों पर स्कूल जाने पर रोक, नौकरी पर रोक और तो और उल्लंघन करने पर महिलाओं को निर्दयता से पीटा और मारा जाना भी आम बात थी।

इसके बाद 9/11 के हमले के बाद अमेरिका और नाटो सदस्य देशों की सेनाओं ने तालिबान के अत्याचार से अफगानिस्तान को छुटकारा दिलाया। उसके बीस साल बाद तालिबान ने फिर से आतंक के खूनी खेल की शुरुआत कर दी है।

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