Uttarakhand News: उत्तराखंड में दस साल बाद अगस्त के महीने में सबसे कम वर्षा देखने को मिली है। महिनेभर में इस राज्य में आठ फीसदी से भी कम बारिश देखने को मिली है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है, बंगाल की खाड़ी में स्ट्रॉन्ग सिस्टम नहीं बना। इसके चलते राज्य में कम बारिश हुई।
ये थी कम बारिश होने की वजह
इस साल लगभग हर राज्य में मानसून देर से देखने को मिला कुछ उसी तरह उत्तराखंड में भी इस साल मानसून ने देरी से दस्तक दी थी। हालांकि, प्रदेश के कुछ जिलों में जमकर बारिश हुई। जबकि, उत्तराखंड के कई जिलों में इस साल सामान्य से भी कम बारिश देखने को मिली। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो इस साल पहाड़ी इलाकों में कम बर्फबारी होने के साथ बारिश ज्यादा हुई है। इस साल अगस्त में 353.9 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य से आठ फीसदी कम है।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया, अगस्त में बारिश कम होने का कारण अलनीनो का सक्रिय होना भी बताया जा रहा है। जब-जब अलनीनो सक्रिय होता है, तब-तब भारत में मानसून कमजोर पड़ जाता है।
कुछ ऐसा रहा है 2013 का आंकड़ा
2013 के अगस्त में उत्तराखंड में ताबड़ तोड़ बारिश हुई थी और 2013 ही वो साल है जब केदारनाथ धाम में आपदा भी आई थी। 2013 में अगस्त में 806.2 एमएम बारिश हुई थी। हालांकि, साल 1885 में ऑल टाइम रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई थी। इस वर्ष 1637.8 एमएम बारिश हुई थी। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है, दो मौसम प्रणालियों के मिलन के चलते साल 2013 में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई थी। इस साल भी 11 जुलाई को दो मौसम प्रणाली पश्चिमी विक्षोभ और बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून हवा के मिलन से अधिक बारिश हुई।
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