प्रतापगढ़ में पुलिस का मित्र राजकीय पक्षी सारस लखनऊ वारणसी हाइवे पर रोड़ पार करते समय अज्ञात वाहन से टकरा कर घायल हुआ। तो पुलिसकर्मी इलाज कराने में जुटे। साल भर पहले घायल अवस्था में पुलिसकर्मियों को मिला था। जिसका इलाज पुलिसकर्मियों कराया और देखभाल की तो ठीक हुआ था, लेकिन एक तरफ का पंख टूट जाने के चलते उड़ान भरने के काबिल नहीं रहा और साल भर से पुलिसकर्मी और आसपास के लोग उसके खानपान का जिम्मा उठाते हैं। फतनपुर थाना परिसर व उसके आसपास रहता है सारस।
राजकीय पक्षी सारस जो प्रतापगढ़ पुलिस का मित्र बन चुका है। फतनपुर थाने और उसके आसपास रहकर जीवन व्यतीत करने वाला सारस लखनऊ वारणसी हाइवे पर सड़क क्रॉस करते समय अज्ञात वाहन की चपेट में आकर घायल हो गया। जिसका इलाज कराने में पुलिसकर्मी जुटे हुए हैं। वैसे तो सारस एक प्रवासी पक्षी है और जोड़े में ही रहता है। दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है परिवार के प्रति इस कदर समर्पित होता है कि किसी एक कि मौत हो जाती है। तो दूसरा सर पटक पटक कर जान दे देता है।
इस पक्षी के बूढ़े होने पर इनके बच्चे इनके खाने का इंतजाम करते हैं। इस पक्षी का जीवन लगभग 20 वर्ष का होता है और अलग अलग छोटे समूहों में रहता है। शांत स्वभाव यह पक्षी आवाज तो नहीं निकाल सकता लेकिन अपनी चोंच को टकराकर आवाज निकालने में माहिर होते है। यह दुनिया का सबसे लंबा उड़ान भरने वाला पक्षी है और सारस विशेष रूप से पशु भोजन खाते हैं। विभिन्न प्रजातियां मछली, शंख, मेंढक, सांप, जहरीले सांप, छिपकली और बड़े कीड़ों का अधिक या कम मात्रा में सेवन करती हैं। आहार में अक्सर छोटे स्तनधारी शामिल होते हैं: चूहे, चूहे, मोल, गोफर, खरगोश।
सारस इत्मीनान से चलकर अपने शिकार को ट्रैक करते हैं, और जब वे शिकार को देखते हैं, तो वे दौड़ते हैं और उसे पकड़ लेते हैं। संतानों को पहले अर्ध-पचाने वाले भोजन से पेट भरकर खिलाया जाता है। बाद में उन्हें चूजों द्वारा केंचुओं के मुंह में फेंक दिया जाता है। सारस पक्षी की बाबत थाने के पड़ोस के रहने वाले बब्बू सिंह ने बताया कि थाने और इसके आसपास एक सारस रहता है। जो घायल अवस्था मे एक साल पहले मिला था और इलाज पुलिस वालों ने कराया और ठीक हुआ। लेकिन इसका एक पंख टूट गया था जो ठीक नहीं हो सका, तब से यह सारस यही थाने और इसके आसपास रहता है, पुलिस वाले और हम ग्रामीण लोग इसको खिलाते पिलाते है।
अभी कुछ दिन पहले सड़क पार करते समय फिर घायल हो गया, जिसके बाद इलाज कराया गया है और अब चल फिर सकता है। तस्वीरों में आप देख सकते है कि यह पक्षी पंख फड़फड़ाते हुए आगे बढ़ रहा है लेकिन उड़ नहीं सकता। इन एक सालों में वन विभाग ने इस सारस की सुध नहीं ली और आज थाने पहुचा लेकिन सारस को देख कर वापस लौट गया, सारस मनुष्यों के आसपास भी रहता है। यह प्रमाणित हो चुका ऐसा प्रतीत होता है कि अकेला सारस मनुष्यों के बीच रहकर ही जिंदा है। क्योंकि इसके नेचर के बारे जो लिखा गया है कि जोड़े से बिछड़ने या उसकी मौत पर खुद सिर पटक पटक कर जान दे देता है।
रिपोर्ट – मनीष ओझा
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