उत्तर प्रदेश: फर्रूखाबाद से एक दिल-दहला देने वाली घटना सामने आई है। दरअसल, स्वच्छ भारत मिशन के कमालगंज खंड प्रेरक ने सोमवार को फंदा लगाकर जान दे दी। बता दें कि आत्महत्या का मुख्य कारण मृतक का अपने ऊपर लगे धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज होने से परेशान होना है।
कादरीगेट थाने के मोहल्ला गंगानगर न्यू कालोनी निवासी प्रदीप कुमार सागर स्वच्छ भारत मिशन में कमालगंज ब्लॉक में खंड प्रेरक के पद पर तैनात थे। सोमवार सुबह उनकी शिक्षिका पत्नी सुभद्रा कुमारी स्कूल चली गईं। जिसके बाद करीब साढ़े 10 बजे युवक ने कमरे में दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। कई आवाज देने के बाद भी जवाब न मिलने पर बड़े भाई जितेंद्र कुमार सागर ने कमरे के अंदर देखा तो उनके होश उड़ गए।
प्रदीप को कमरे की कुंडी तोड़कर फंदे से उतारा गया। जिसके बाद उसे लोहिया अस्पताल लाया गया। वहां डॉक्टर ने प्रदीप कुमार को मृत घोषित कर दिया। सूचना पर विकास भवन और ब्लॉक में काम कर रहे कर्मचारियों, रिश्तेदारों की भीड़ जमा हो गई। सीओ सिटी प्रदीप कुमार ने मौके पर पहुंचकर परिजनों से बातचीत की।
पत्नी सुभद्रा कुमारी ने थाने में तहरीर देते हुए कहा कि कमालगंज बीडीओ आलोक आर्य, सहायक विकास अधिकारी सुभाष चंद्र और ग्राम विकास अधिकारी आलोक ने पति पर झूठा मुकदमा लिखाया था। तीनों अधिकारी पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे।
वह दो लाख रुपये भी मांग रहे थे। मानसिक परेशानी के चलते ही उन्होंने आत्महत्या की है। प्रदीप की मां पुष्पा देवी, भाई अरविंद, जितेंद्र और बेटा क्षितिज व बेटी पलक का रो-रोकर बुरा हाल है। सीओ सिटी प्रदीप कुमार ने बताया कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, ब्लाक स्तरीय अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर से घरेलू शौचालय के पात्रों की सत्यापन सूची भेजने के आरोप में खंड प्रेरक पर एडीओ पंचायत सुभाषचंद्र की ओर से 11 जुलाई को स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसके चलते मृतक से पूछताछ चल रही थी और वह बेहद परेशान थे। बता दें कि कार्यालय में संविदा पर कार्यरत स्वच्छ भारत मिशन के खंड प्रेरक प्रदीप कुमार को ब्लाककर्मी उनके उपनाम बंटी से जानते थे। सोमवार को फर्रुखाबाद स्थित आवास पर उनके द्वारा आत्महत्या कर लेने की सूचना मिलते ही कर्मचारी सकते में रह गए।
फांसी लगाकर आत्महत्या करने वाले खंड प्रेरक ने पांच पेज में तीन सुसाइड नोट लिखे हैं। इनमें कहा कि मैं निर्दोष हूं। ऐसा कोई काम नहीं करता, जिससे परिवार की छवि खराब हो। पुत्र के लिए कहा कि मां का हर सपना पूरा करना है। अधिकारियों को उन्होंने ही मामला बताया था और उन्हें ही गलत तरीके से फंसा दिया गया। अब उसके सामने कोई और रास्ता नहीं बचा है।
1- खंड विकास अधिकारी कमालगंज, महोदय, आपके द्वारा जो शिकायत की गई थी, उसमें मेरी क्या भूमिका थी। मैने ही आपको अवगत कराया था। मुझे ही आपने फंसा दिया। सर आपको अगर अवगत नहीं कराता तो पता ही नहीं चलता। एडीओ पंचायत ने मुझे किसी स्थिति में नहीं रखा। अब तो मैं किसी के सामने नजर भी नहीं मिला सकता। मैंने हमेशा इज्जत कमाई वह भी आपके द्वारा दूषित हो गई। अब क्या करें सर, अब तो एक ही सहारा है। खुद को निर्दोष साबित नहीं कर पाएंगे और आप होने नहीं देंगे। तो जीने का क्या फायदा। आपका- प्रदीप कुमार
2- सभी को प्रणाम, आज मैं जो कदम उठा रहा हूं, वो है तो गलत पर क्या करूं मजबूर हूं। मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे परिवार की छवि खराब हो। पर मेरे भाग्य में शायद यही लिखा था। आरती (पत्नी) तुम हमेशा मेरे साथ थीं और मेरे जाने के बाद भी साथ रहेगा। आज मैं जिस दोराहे पर खड़ा हूं, उससे मैं कमजोर हो गया हूं। मेरे ऊपर जो भी आरोप लगे वह गलत हैं। मेरे द्वारा इस प्रकार का कोई कार्य नहीं किया गया। पर मुझे फंसा दिया गया है। मैंने ही बीडीओ साहब को बताया। आलोक दुबे को मैने ही इसकी जानकारी दी। जब अपनों ने ही साथ नहीं दिया, तो आरती बताओ मैं किस पर भरोसा करता। कई बातें लिखने के बाद कहा कि आरती तुम चिंता न करना। मैं तुम्हे परेशान नहीं देख सकता। कुछ दिन परेशान होगी पर सब सही हो जाएगा। मेरा सपना जो है उसे जरूर पूरा करना। मेरे ऊपर जो कलंक लगा, उसे मेरे लड़के के ऊपर नहीं आना चाहिए। उसने जो ठाना है, उसे भाई पूरा कराएंगे। बेटा आपका पापा बेकसूर है। उस पर कभी शक मत करना। अपनी मम्मी का सपना पूरा करना है। मैं रहूं या न रहूं मेरा आशीर्वाद आपके साथ रहेगा। मम्मी और बहन का ख्याल रखना। बस अब कुछ नहीं कहना। आई लव यू आरती, माई सन, बंटी।
3- बच्चो अब आपकी परीक्षा का समय है। मैं आज हूं कल तब आपको क्या करना है।
1- पहली बात हमेशा ध्यान रखना कि तुम्हारे पापा बेकसूर थे। उन्होंने कभी गलत नहीं किया था। जो आरोप आपके पापा पर लगाए वो सब बेबुनियाद हैं। उस स्थिति में आपको बहुत धैर्य से कार्य करना है।
2- बीडीओ, एडीओ और आलोक दुबे द्वारा लगाए गए सारे आरोप गलत हैं। यह भगवान को साक्षी मानकर कह रहा हूं।
3- आप दोनों को अपनी मम्मी का बहुत ध्यान रखना है। खासतौर यश तुमको। क्योंकि अब तुम्हारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ रही है। यश तुम को एक नहीं दो-दो लोगों का ख्याल रखना है। एक अपनी मम्मी और दूसरी पलक की। आज मैं मजबूर हूं जो तुम लोगों को अकेला छोड़कर जा रहा हूं।
4- कभी अपने आपको अकेला मत समझना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।
5- पुलिस से हमेशा दूर रहना।
6- और क्या कहूं तुम अब खुद इतने समझदार हो। पर आज भी कह रहा हूं कि मैं गलत नहीं हूं।
7- पलक तुम अपनी मम्मी का पूरा ख्याल रखना। यह मुझसे वायदा करो। तुम्हारा पापा तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा। बेटा अपना फर्ज निभाना जिस काम के लिए तुम्हें भेजा है। उसे पूरा करके दिखाना कि मेरे पापा सही थे। तुम्हारा पापा- प्रदीप कुमार सागर
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