शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का मध्यप्रदेश के नरसिंगपुर में कल हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया। शंकराचार्य स्वरूपानंद द्वारिका पीठ के शंकराचार्य थे।स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितम्बर 1924 को मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता धनपति उपाध्याय और मां गिरिजा देवी थी।
माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को आज शाम 5 बजे मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर में परमहंसी गंगा आश्रम में भू-समाधि दी जाएगी। पीएम मोदी समेत देश की कई बड़ी हस्तियों ने शंकाराचार्य के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। आपके मन में ये सवाल उट रहा होगा कि आखिर क्या होता है भू- समाधि और ये भू-समाधि शंकराचार्य को क्यों दी जा रही है तो हम सारे सवालों का जवाब देंगे।
संतों को समाधि देने के लिए गड्ढा खोदा जाता है, जिसे गाय के गोबर से लीपा जाता है। गड्ढे में नमक डाला जाता है। फिर उनसे जुड़ी खास चीजें गड्ढे में रखी जाती हैं। सन्यासी के शरीर पर घी और भस्म लगाया जाता है। ये इसलिए किया जाता है क्योंकि संतों का पूरा जीवन परोपकार के लिए होता है। और मरने के बाद उनका पार्थिव शरीर करोड़ों जीवों का आहार बनता है और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा गुरू माना गया है इसलिए उन्हें ये समाधि दी जाएगी।
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