मध्यप्रदेश समेत 5 राज्यों में अगले महीने से विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस इन राज्यों में सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दोबारा सत्ता में आना चाहती है। वहीं, मध्यप्रदेश और तेलंगाना भी जीतने की जुगत भिड़ा रही है। इसके लिए कांग्रेस को वोट हासिल करना होगा। कांग्रेस ने वोट जुटाने के लिए एक तरफ फिलिस्तीन और गाजा का मुद्दा उठाकर मुस्लिमों को साधने की कोशिश की है। तो वहीं दूसरी ओर, उनके नेता हिंदुओं की भावनाओं के जरिए भी वोट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच हिन्दुत्व कार्ड चलते हुए कमलनाथ ने वादा किया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो श्रीलंका में सीता माता (देवी सीता) मंदिर के निर्माण की योजना दोबारा से शुरू की जाएगी।
मध्यप्रदेश में जब 2018 में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी, तब कमलनाथ के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार ने श्रीलंका में माता सीता के मंदिर के निर्माण की योजना बनाई थी, लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही प्रदेश में तख्तापलट हो गया और योजना आगे नहीं बढ़ पाई। इसलिए अब कमलनाथ ने फिर वादा किया है कि सरकार वापस आते ही श्रीलंका में सीता माता मंदिर के निर्माण की परियोजना दोबारा शुरू होगी।
खास बात ये है कि कमलनाथ जहां हिंदू वोटरों को ध्यान में रखते हुए सीताजी का मंदिर बनवाने की बात कर रहे हैं, वहीं उनकी पार्टी के दिग्गज नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के सरकारी आवास में नवमी पर कन्या भोज कराए जाने को नौटंकी बताया था। दिग्विजय के इस बयान को बीजेपी और शिवराज ने मुद्दा बनाया है। जिसे वो जोर-शोर से प्रचारित कर रहे हैं।
दिग्विजय सिंह के बयान पर शिवराज सिंह चौहान ने भी पलटवार किया है। सीएम ने कहा कि बहनों की पूजा के लिए नैतिक साहस चाहिए. मैं बेटियों के और बहनों के पैर भी धोता हूं और उस पानी को माथे से भी लगाता हूं। यह वही कर सकता है, जिसके मन में पवित्र भाव हो, जिसमें भारतीय संस्कार हों। बहनों के सम्मान का यह काम दिग्विजय सिंह नहीं कर सकते. बहन और बेटियों को टंच माल कहने वाले, आइटम कहने वाली मानसिकता को बदलना होगा.
इसके अलावा, कमलनाथ ने विजयादशमी पर जनता से और भी कई वादे किए। उन्होंने कहा कि मंदिरों में दर्शन टिकट सिस्टम हटाएंगे ताकि कोई श्रद्धालु भगवान के दर्शन से वंचित न रहे। भगवान परशुराम का जन्मस्थान जानापाव को भी पवित्र स्थान बनाने का वादा किया है। यह भी कहा गया है कि परिजनों को अस्थि विसर्जन और अंत्येष्टि के लिए 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
कमलनाथ ने कहा कि पुजारियों और महंतों को बीमा मिलेगा। महाकाल और ओंकारेश्वर मंदिरों की सुरक्षा मजबूत होगी। प्रचलित नियमों में सुधार होगा, जो आस्था स्थलों की देखभाल और उनसे जुड़े पुजारी और सेवकों की आय को सुनिश्चित करेगा। मुरैना में संत रविदास पीठ और रीवा में संत कबीर पीठ बनेंगे।
अब ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस को इन वादों के जरिए कितनी सीटें मिलती हैं। क्योंकि कर्नाटक और हिमाचल में मुफ्त की योजनाओं और पुरानी पेंशन योजना लागू करने के वादे ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई है।
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