मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे दलों में दलबदल का खेल शुरू हो गया है। या फिर यूं कह ले कि पार्टियों का मन चाहा टिकट के लिए सुरक्षित रास्ता दल बदल लेना बनता जा रहा है। चुनाव सिर पर होते हैं तो नेताओं की एक दल से दूसरे दल में उथल-पुथल आम होती है। बता दें कि मध्य प्रदेश में जो उथल-पुथल हो रही है वो खास है। दरअसल सिंधिया के जो समर्थक उनकी एक आवाज पर सत्तारूढ़ कांग्रेस का साथ छोड़ विपक्ष में बैठी बीजेपी के साथ जा मिले थे, अब वो एक बार फिर सत्तारूढ़ बीजेपी को छोड़ विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ रहे हैं। मजे की बात ये है कि इस बार सिंधिया के आहवान पर नहीं, बल्कि सिंधिया के खिलाफ।
बता दें कि गुरुवार को रघुराज सिंह धाकड़ ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस में वापसी कर ली। रघुराज, सिंधिया का गढ़ माना जाता है। सिंधिया, शिवपुरी के कोलारस में धाकड़ समाज के बड़े नेता हैं और लगभग तीन दशकों तक वो कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हैं। लेकिन जब सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ा तो रघुराज भी उनके साथ चल दिए। अब भूल सुधार करते हुए रघुराज ने चंदेरी के जयपाल सिंह यादव और यदुराज सिंह यादव के साथ कांग्रेस में वापसी कर ली है।
वहीं चुनावी समर में रघुराज से पहले सिंधिया के कद्दावर समर्थक माने जाने वाले बैजनाथ यादव और राकेश गुप्ता भी कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके बैजनाथ पूरे लाव लश्कर के साथ भोपाल पहुंचे थे और कांग्रेस में वापसी की थी। अब उनके कोलारस से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी है. वहीं राकेश गुप्ता शिवपुरी में कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। बता दें कि उनके पिता सांवलदास गुप्ता शिवपुरी नगरपालिका के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। वो पारिवारिक कांग्रेसी कहलाते हैं।
बता दें कि बीजेपी ने भले ही सिंधिया के साथ आने वाले विधायकों को फिर से उपचुनाव में टिकट और संगठन में पद दिया हो। वहीं संगठन में सिंधिया समर्थक नेताओं-कार्यकर्ताओं को मंजूरी नहीं मिली। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अक्सर बीजेपी के पुराने संगठन और कांग्रेस से आने वाले नेताओं के बीच टकराव देखने को मिलता है।
वहीं कांग्रेस से आने वाले इन नेताओं को अपना राजनीतिक भविष्य संकट में दिखाई देने लगा है। इन नेताओं को न पद मिल रहा न ही आने वाले चुनाव में टिकट मिलने की कोई गारंटी है।
इस साल के अंत तक पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है क्योंकि इसकी शुरुआत कांग्रेस ने पहले हिमाचल और फिर कर्नाटक में जीत दर्ज करके कर दी है। वहीं मध्यप्रदेश में प्रियंका गांधी ने धमाकेदार चुनावी शांखनाद करके बीजेपी को कड़ी चुनौती दी है।
लगभग 3 साल तक बीजेपी में रहने के बाद वहीं कांग्रेस नेता बीजेपी को छोड़कर अब फिर से कांग्रेस का दामन थाम ले रहे हैं।बता दें कि दल बदल करने वाले नेताओं का मानना है कि उनकी बातें नहीं सुनी जाती है बीजेपी में जिस वजह से वह घर वापसी कर रहे हैं।
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