कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने बंगाल पुलिस को निर्देश दिया है कि 29 जुलाई को मनाए जाने वाले मुहर्रम त्योहार को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी करें, जिसमें ढोल बजाने के संबंध में सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हो। हाईकोर्ट ने बंगाल पुलिस को आदेश दिया है कि नोटिस में ढोल बजाने के समय को लेकर दिशा-निर्देश होना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। इसके अलावा कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी मुहर्रम पर शोर के स्तर को विनियमित करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया।
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने बंगाल पुलिस और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसकी समय सीमा तय करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि मोहर्रम त्योहार के बहाने स्थानीय ‘गुंडों द्वारा देर रात तक लगातार ढोल बजाया जा रहा है। वह जब भी पुलिस के पास जाती थीं तो उन्हें कानों पर रुई लगाने अथवा अदालत का आदेश लेकर आने की सलाह देकर लौटा दिया जाता था।
आदेश सुनाते हुए हाई कोर्ट ने चर्च ऑफ गॉड इंडिया केस का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 25(1) के तहत धर्म का अभ्यास पूर्ण अधिकार नहीं है। यह नहीं कहा जा सकता है कि किसी नागरिक को कुछ ऐसा सुनने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए, जो उसे पसंद नहीं है या जिसकी उसे आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के नियमों और निर्देशों के आलोक में बेरोकटोक ढोल बजाने की अनुमति नहीं है। बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कर्तव्य है कि वह किसी भी धार्मिक त्योहार या रैली से पहले नागरिकों को अंधाधुंध ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने वाले नियमों के बारे में जागरूक करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करे। अदालत ने लगातार ढोल बजाने को अवैध और प्रासंगिक नियमों के विपरीत करार दिया। साथ ही पुलिस को ढोल बजाने के समय को विनियमित करने के लिए तुरंत सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आगे कहा कि ढोल बजाना 29 जुलाई को उत्सव का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह लगातार कई दिनों तक नहीं चल सकता और यह नियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। अदालत ने ममता सरकार को तुरंत एक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें कहा जाए कि जो ढोल बजाना चाहते हैं, उन्हें आवश्यक अनुमति लेनी होगी।
इसके लिए स्थान भी तय किया जाना चाहिए। इसके अलावा समय सीमा का भी उल्लेख करना होगा। हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण पर सशक्त कानून होने के बावजूद उसपर अमल नहीं हो रहा है।
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