Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है जिसमें अधिकारियों को “जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों” के आधार पर दिल्ली सरकार के स्कूलों में 35 नव-नियुक्त प्रिंसिपलों के चयन प्रक्रिया की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि 35 उम्मीदवार का चयन अवैध तरीके से किया गया है और दिल्ली सरकार का शिक्षा विभाग उनके द्वारा जमा किए गए आवश्यक दस्तावेजों की जांच करने में विफल रहा। जिससे उन उम्मीदवारों का गलत चयन हुआ। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता नवेंदु चैरिटेबल ट्रस्ट के वकील ने उन लोगों को पक्षकार बनाने के लिए समय मांगा, जिनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मांगा गया समय दे दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध की गई है। वहीं मामले में दिल्ली सरकार की ओर से उसके स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी और वकील अरुण पंवार प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
याचिका में आरोप लगाया गया कि चयनित उम्मीदवार में से कुछ उम्मीदवारों ने 8 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक पारिवारिक आय होने के बावजूद अपने चयन के लिए फर्जी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जबकि अन्य ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का लाभ उठाया और फर्जी अनुभव दस्तावेज प्रस्तुत किए।
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