Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से संपत्ति दस्तावेजों को आधार से जोड़ने की याचिका पर तीन महीने के भीतर फैसला करने को कहा है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने सरकार को भारतीय जनता पार्टी नेता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका (पीआईएल) को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानने का निर्देश दिया और याचिका का निपटारा कर दिया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सरकार पर छोड़ देना बेहतर है। आगे कोर्ट ने कहा, “कोई नहीं कह रहा है कि भ्रष्टाचार कोई समस्या नहीं है। समस्या अनुभवजन्य साक्ष्य है। सरकार को अध्ययन करना होगा और दोनों के अंतर और लाभों को देखना होगा… यह ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम यहां बैठकर कर सकें”।
खंडपीठ ने आगे कहा कि यदि आवश्यक हो तो अधिकारी उपाध्याय से भी सहायता ले सकते हैं। उपाध्याय ने अदालत में दलील दी कि आधार को संपत्ति दस्तावेजों से जोड़ने से भ्रष्टाचार, काले धन और बेनामी लेनदेन पर अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निर्धारित लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिए भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने और बेनामी संपत्तियों को जब्त करने के लिए कदम उठाने के लिए बाध्य है।
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