शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिका पर अपना आदेश सुनाएगी। आपको बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अभी आबकारी नीति मामले में सिसोदिया की जांच कर रही है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, राउज एवेन्यू कोर्ट के CBI जज एम.के. नागपाल ने 24 मार्च को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 20 मार्च को सिसोदिया को 3 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अगले दिन, न्यायाधीश नागपाल ने जांच एजेंसी से लिखित दलीलें और संबंधित फैसले दाखिल करने को कहा था।
सुनवाई के दौरान, सिसोदिया के एक वकील ने कहा, “रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चले कि सिसोदिया गवाहों को धमका रहे थे।” उनका कहना है कि सिसोदिया ने सीबीआई जांच में मदद की है। उनके खिलाफ कोई सबूत सामने नहीं आया है।
“इसमें कोई संदेह नहीं है कि मनीष सिसोदिया की समाज में गहरी जड़ें हैं। वह हर बार सीबीआई के सामने पेश हुए हैं। लेकिन उन्हें बिना गिरफ्तारी के भेज दिया गया है।” सिसोदिया के एक वकील ने कहा।
सीबीआई की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक डी.पी. सिंह ने कहा था, “केवल मोबाइल फोन ही नहीं, फाइलें भी नष्ट हो गईं। मैं बहुत गंभीर हूं कि सबूतों को नष्ट करना एक निरंतर अभ्यास था।”
आपको बता दें कि मनीष सिसोदिया पर दिल्ली शराब नीति मामले में जांच को बाधित करने के लिए बड़े पैमाने पर डिजिटल सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगा था। साथ ही एजेंसी का कहना है कि उन्होंने 14 फोन बदले और नष्ट कर दिए थे।
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