Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-नारायणपुर की सरहद पर अबूझमाड़ में स्थित हांदावाड़ा वाटरफॉल की सैर करने गए करीब 20 से ज्यादा पर्यटकों को नक्सलियों ने रोक दिया। उन्हें वाटरफॉल की तरफ जाने नहीं दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, हांदावाड़ा वाटरफॉल से कुछ किमी की दूरी पर नक्सली बैठक ले रहे थे। इसलिए पर्यटकों को करीब 3 घंटे तक बिठाए रखा था। उनसे पुछताछ के बाद सारे पर्यटकों को सुरक्षित छोड़ दिया गया। वे घर लौट आए हैं।
दरअसल, इंद्रावती नदी के पार का इलाका पूरी तरह से नक्सलियों के कब्जे में है। पुलिस सुरक्षा के बीच हाल ही में इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण का काम पूरा हुआ है। जिसे विकास का द्वार नाम दिया गया है। अब छिंदनार-पाहुरनार घाट के रास्ते पर्यटकों को हांदावाड़ा पहुंचने आसानी हो रही है। लेकिन, नक्सली इलाके को पर्यटन स्थल में तब्दील नहीं होने देना चाह रहे हैं। लगातार बढ़ रही पर्यटकों की भीड़ से नक्सली बौखलाए हुए हैं।
इधर, इस संबंध में बस्तर के IG सुंदराज पी ने कहा कि, मामले के संबंध में पता लगाया जा रहा है। नक्सली विकास विरोधी हैं। वे बस्तर में विकास नहीं चाहते है। लोगों में किसी न किसी तरह की दहशत बनाना चाहते हैं। पर्यटकों ने कहा कि, हांदावाड़ा वाटरफॉल लोगों की पहली पसंद बन गया है। इसलिए इस वाटरफॉल को देखने उत्सुकता रहती है।
हांदावाड़ा वाटरफॉल इंद्रवती नदी के पार दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जिले सीमा पर अबूझमाड़ इलाके में स्थित हैं। इस खूबसूरत वाटरफॉल तक पहुंचने नदी पार करने के बाद कोई सुगम रास्ता भी नहीं है। इसे छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा वाटरफॉल भी कहा जाता है। हांदावाड़ा वाटरफॉल तक पहुंचने के लिए पहले इंद्रावती नदी को पार करना पड़ता है। फिर कई किमी पतली पगडंडी वाले रास्ते को बाइक और लगभग 2 से 3 बरसाती नाले को पार करना होता है। फिर कुछ दूरी पर बाइक खड़ी कर पैदल जंगल का सफर तय कर पहुंच सकते हैं।
कुछ साल पहले हांदावाड़ा वाटरफॉल में बाहुबली पार्ट -2 की शूटिंग की अफवाह उड़ी थी। इसी वजह से इसे बाहुबली वाटरफॉल भी कहा जाता है। शूटिंग की अफवाह के बाद ही पर्यटकों की भी इस वाटरफॉल को देखने की दिलचस्पी बढ़ी। यही वजह है कि पिछले 2-3 सालों से पर्यटकों की भीड़ भी ज्यादा देखने को मिल रही है। ज्यादातर पर्यटक नवंबर से लेकर मई महीने तक ही जा पाते हैं। क्योंकि इस समय इंद्रावती नदी का जल स्तर थोड़ा कम होता है। हालांकि, पाहुरनार घाट में पुल बन जाने से थोड़ी राहत जरूर मिली है। लेकिन आगे बरसाती नालों को पार करना बड़ी चुनौती होती है।
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