दिल्ली से लेकर बिहार तक राजनीति में चर्चाएं तेज हो गई हैं। जीटीयू के दो फाड़ होने की बात हो रही है। रिपोर्ट की मानी तो पटना में जदयू के 11 विधायकों की सीक्रेट मीटिंग हुई जिसकी जानकारी बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी लग गई। सीक्रेट मीटिंग में पार्टी के एक सीनियर मंत्री भी शामिल हुए इस बीच गुरुवार यानी कि आज 28 दिसंबर को बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली आएंगे। दिल्ली में वह पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं अब सभी की नजरे उनके अगले कदम पर टिकी हुई है।
बता दें, नीतीश कुमार के इस कदम पर सब की निगाहें उन पर टिकी हुई हैं कि वह क्या ऐलान करने वाले हैं और क्या इससे विपक्षी गठबंधन में कोई दरार तो नहीं पड़ेगी या फिर बिहार के सियासी समीकरण में कोई बदलाव तो नहीं आएगा। सीएम नीतीश कुमार के वर्किंग स्टाइल की बात करें तो जब-जब पार्टी के नेताओं के दूसरे दल की तरफ झुकाव की खबर सामने आई है तब उसे नेता के ऊपर नीतीश कुमार ने कतर दिए। जब पार्टी के अंदर आरपी सिंह के बीजेपी के साथ-साथ काट के आरोप लगे तो नितेश कुमार ने एक झटके में उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था। अब पार्टी के अंदर और बाहर ललन सिंह पर राजद के साथ ज्यादा हमदर्दी रखने की भी बातें सामने आ रही है इन सबके बीच चर्चा है कि ललन सिंह को हटाने का फैसला हो सकता है।
दिल्ली के इस बैठक में ललन सिंह का क्या होगा यह तो कुछ समय में ही पता चल जाएगा। उनके पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने की आशंका तेज है। हालांकि JDU से जुड़े कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी संविधान में अध्यक्ष को हटाने या इस्तीफा देने की एक प्रक्रिया होती है। पार्टी अध्यक्ष की तरफ से नीतीश कुमार को एक चिट्ठी के जरिए रेसिपी की पेशकश की जा सकती है लेकिन फैसला संगठन की कार्यकारिणी को करना होता है। ठीक उसी प्रकार अध्यक्ष को हटाने का जो फैसला होता है वह अधिकार पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को होता है। 2011 विधायकों की गुप्त बैठक के बाद बुलाई गई इस मीटिंग में कुछ लोग ललन सिंह की छुट्टी से जुड़ रहे हैं। हालांकि वीडियो की तरफ से यह कहा जा रहा है कि ऐसा कुछ नहीं है सब कुछ ठीक चल रहा है।
पार्टी को मतभेद से बचने के लिए नीतिश कुमार कोई बड़ा ऐलान आज कर सकते हैं। लेकिन अगर नितेश कुमार एक बार फिर पाला बदलने की सोच रहे हैं तो एनडीए की रात आसान नहीं होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार एनडीए में जदयू की वापसी नहीं होगी। बिहार में छोटी पार्टियों के साथ एनडीए का गठबंधन तो हो सकता है नीतीश कुमार के विरोध में बीजेपी की बिहार इकाई है और बीजेपी की टॉप लीडरशिप भी नीतीश से नाराज है। बिहार के सियासी समीकरण को अगर अलग नजरिए से देखे तो क्षेत्र के हिसाब से समझने के लिए बीते को चुनाव के रिजल्ट और वोट बैंक के पर्यटन को समझना होगा। इसके बाद उत्तर बिहार की तरफ देखें तो वहां महा गठबंधन की तुलना में एनडीए पलड़ा भारी लग रहा है।
वहां लोकसभा की कुल 12 सीटें हैं मतलब वहां पर JDU के बिना चुनाव लड़ने में भी एनडीए को कुछ ज्यादा नुकसान नहीं देखना होगा। ठीक उसी प्रकार मिथलांचल में महागठबंधन के मुकाबले एनडीए आगे है वहां कल 9 लोकसभा सीटें हैं। अगर मिथिलांचल की बात करें तो 2024 के चुनाव में एनडीए को ज्यादा सिम मिल सकती है लेकिन सीमांचल और पूर्वी बिहार रीजन के चुनावी मुकाबले में एनडीए पर महाकठबंधन का पलड़ा भारी है। सीमांचल में कुल 7 लोकसभा सिम हैं वहीं अगर मगध की बात करें तो वहां पर मामला आधा-आधा है। वहां पर साथ लोकसभा सिम हैं यानी वहां पर एनडीए का भी जोर है और मां गठबंधन का भी इस तरह देखा जाए तो वहां चुनावी मुकाबले में कुछ भी हो सकता है।
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