पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने कहा अगर रहाणे टेस्ट में दोबारा उप-कप्तान बन सकते हैं, तो विराट कप्तान क्यों नहीं? वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 209 रनों से मिली करारी शिकस्त के बाद विराट को दोबारा टेस्ट में कप्तानी सौंपने की मांग तेज हुई है।
एमएसके प्रसाद का कहना है कि विराट कोहली जैसा कप्तान टीम को आक्रामक तरीके से लीड कर सकता है और दोबारा शिखर पर ला सकता है। अगर अजिंक्य रहाणे को दोबारा उपकप्तान बनाया जा सकता है, तो विराट कोहली को भी कप्तानी का जिम्मा दिया जाना चाहिए। सोच में बदलाव का आलम ऐसा है कि विराट कोहली को कप्तानी से हटाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले सौरव गांगुली ने भी विराट की कप्तानी को शानदार बताया है और उनके प्रदर्शन के बूते टीम इंडिया को ODI वर्ल्ड कप 2023 में जीत का दावेदार बताया है।
सौरव गांगुली ने कहा कि विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी ने टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में सीरीज जिताया। इनके नेतृत्व में खिलाड़ियों ने फीयरलेस एटीट्यूड के साथ मैदान पर दम दिखाया। जब सौरव गांगुली 2021 में BCCI के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने विराट पर T-20 फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ने का दबाव बनाया था। नतीजा यह हुआ कि वर्ल्ड कप से ठीक पहले किंग कोहली के इस्तीफे का ऐलान आया था। वह दौर याद आता है तो आज भी दिल दहल उठता है। बाकी देश टी-20 वर्ल्ड कप जीतने की तैयारी कर रहे थे और BCCI किंग कोहली का उत्तराधिकारी ढूंढने में व्यस्त था।
जब टी-20 फॉर्मेट से मन नहीं भरा, तो कहा गया कि चयनकर्ता वाइट बॉल क्रिकेट में एक ही कप्तान चाहते हैं। ऐसा बोलकर विराट को ODI की कप्तानी से भी हटा दिया गया। विराट ने कहा था कि मैं 2023 में घर पर होने वाले एकदिवसीय वर्ल्ड कप तक कमान संभालना चाहता हूं, पर उस वक्त जबरन विराट को कप्तानी से निकाल दिया गया। बाद में तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा के स्टिंग ऑपरेशन में भी यह बात साफ हुई थी कि दादा विराट को पसंद नहीं करते थे।
इसलिए उन्होंने विराट को कप्तानी से हटाने पर किसी किस्म का ऑब्जेक्शन नहीं किया। यहां तक कि विवाद बढ़ने के बाद सौरव गांगुली ने बयान दिया कि मैंने विराट से कप्तानी ना छोड़ने की दरखास्त की थी। जवाब में विराट ने साफ कर दिया कि मेरे कप्तानी छोड़ने के फैसले से BCCI में सब खुश थे और किसी ने भी मुझे नहीं रोका था। इस बयान के बाद BCCI और किंग कोहली के बीच अदावत बढ़ गई।
विराट को अंदेशा हुआ कि अब उन्हें टेस्ट की कप्तानी से भी हटा दिया जाएगा, इसलिए किंग ने खुद ही पद छोड़ दिया। विराट की कप्तानी में भारत ने 68 टेस्ट मैच खेले और 40 मुकाबलों में जीत हासिल की। 17 मैच ड्रॉ रहे और 11 मुकाबले भारत ने गंवाए। 58.82% के साथ विराट विनिंग परसेंटेज के मामले में भी हिंदुस्तान के नंबर वन टेस्ट कप्तान हैं। मैदान पर हर विपक्षी खिलाड़ी का विकेट चटकाने के बाद आक्रामक जश्न किंग की पहचान है। यह हकीकत है कि विराट के कप्तानी छोड़ने के बाद भारतीय टेस्ट टीम में पहले वाला जुनून देखने में नहीं आया।
बदले में हिंदुस्तान ने कुछ आसान टेस्ट मैच भी गंवाया। कप्तानी को लेकर किसी तरह का दबाव कभी विराट की बल्लेबाजी में नजर नहीं आया। कोहली ने बतौर टेस्ट कैप्टन दुनिया में सबसे ज्यादा 7 दोहरे शतक लगाए। इसके साथ ही अपनी कप्तानी के दौर में विराट ने 66 टेस्ट मैचों में 55.36 की औसत से 5703 रन बनाए। किंग के बल्ले से साउथ अफ्रीका के खिलाफ 254* रन एक पारी में सर्वश्रेष्ठ स्कोर के तौर पर आए। इसलिए अगर दोबारा टेस्ट क्रिकेट में रोमांच पैदा करना है तो कप्तानी में बदलाव हर हाल में किया जाना चाहिए। विराट को दोबारा टेस्ट कप्तान का जिम्मा दिया जाना चाहिए।
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