पाकिस्तानी अरशद नदीम को हराकर गोल्ड जीतने वाले नीरज चोपड़ा को बचपन में पैसों की तंगी थी, वह यूट्यूब देखकर जेवलिन थ्रो सीखते थे। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पाकिस्तानी अरशद नदीम को हराकर नीरज चोपड़ा ने साबित कर दिया कि अगर जुनून हो, तो कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। इस टूर्नामेंट के 40 साल के इतिहास में पहली बार किसी भारतीय खिलाड़ी ने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। लास्ट ईयर नीरज चोपड़ा ने यहां सिल्वर मेडल जीता था।
टूर्नामेंट के फाइनल में 88.17 मीटर की जेवलिन थ्रो के साथ नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। 87.82 की थ्रो के साथ पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम नीरज से पिछड़ गए और उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। नीरज चोपड़ा ने हंगरी के बुडापेस्ट में 27 अगस्त की आधी रात तिरंगा लहरा दिया। 25 वर्षीय नीरज चोपड़ा एक ही वक्त में ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। नीरज चोपड़ा न सिर्फ इंडिया बल्कि पूरी दुनिया में टॉप के प्लेयर बन चुके हैं। वर्ल्ड रैंकिंग देखेंगे तो नीरज टॉप पर हैं।
जेवलिन थ्रोअर कोई और खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के आसपास भी नजर नहीं आता। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। नीरज ने बचपन में जो ख्वाब देखे थे, उनमें भाला फेंकना दूर-दूर तक नहीं था। नीरज क्या उनके परिवार को भी नहीं पता था कि भाला फेंकने जैसा भी कोई खेल होता है। लेकिन कहते हैं ना, कई बार अनजानी राहों पर चलकर मंजिल नसीब हो जाती है। बस आदमी के अंदर कलेजा होना चाहिए। पानीपत के रहने वाले नीरज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।,बचपन में नीरज का वजन काफी ज्यादा था।
आज से लगभग 12 साल पहले यानी साल 2011 की बात है। इधर इंडियन क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता और उधर नीरज के बढ़ते वजन से परेशान घरवालों ने उन्हें जिम भेजना शुरू किया, लेकिन कुछ ही दिन बाद मामला गड़बड़ा गया। 13 वर्ष की उम्र में जिस नीरज का वजन 80 किलो था, उन्हें मशीनों के साथ एक्सरसाइज करने में मजा नहीं आता था। अब घरवाले परेशान। ऐसे में उन्होंने अपने लाडले को फिट रखने के लिए स्टेडियम भेजने का फैसला किया। यहां नीरज ट्रैक पर वॉक और रनिंग करने लगे। अकेले-अकेले कब तक एक्सरसाइज चलता ऐसे ही एक दिन यहां उनकी मुलाकात कुछ एथलीट्स से हुई। कहते हैं कि हरियाणवी घरों में आपको या तो सैनिक मिल जाएंगे या देश के लिए मेडल लाने वाले एथलीट।
एथलीट्स से मिलकर नीरज को लगा कि यह तो मैं भी कर सकता हूं। बस इनसे प्रेरित होकर नीरज ने भी एथलीट बनने का फैसला कर लिया। नीरज ने पहली दफा ही भला उठाया और इतनी दूर फेंक दिया कि आसपास खड़े लोग दंग रह गए। किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि यह छोटा सा लड़का इतनी दूर जेवलिन थ्रो कर सकता है। बस, नीरज ने जान लगा दी। एक समय ऐसा भी था, जब नीरज के पास कोच नहीं था। तब भी उन्होंने हार नहीं मानी। वो यूट्यूब को ही अपना गुरु मानकर भाला फेंकने की बारीकियां सीखते थे। इसके बाद मैदान पर पहुँच जाते थे। उन्होंने वीडियो देखकर ही अपनी कई कमियों को दूर किया। शुरुआती दौर में नीरज को काफी मुश्किलें आईं। आर्थिक तंगी के कारण उनके परिवार के पास नीरज को अच्छी क्वालिटी की जेवलिन दिलाने के पैसे नहीं होते थे। लेकिन नीरज बिना किसी निराशा के सस्ती जेवलिन से ही अपनी प्रेक्टिस जारी रखते थे। उन्होंने माता-पिता पर महंगी जेवलिन दिलाने के लिए कभी जोर नहीं डाला।
2012 में नीरज ने स्टेट लेवल जूनियर चैंपियनशिप और फिर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल्स जीत लिए। साल 2013-14 तक इंडिया में नीरज चोपड़ा का नाम वर्ल्ड फेमस हो चुका था। लेकिन वर्ल्ड लेवल पर भौकाल करना अभी बाकी था। फिर आया साल 2016। जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप पोलैंड में होनी थी। नीरज वहां के लिए निकले और उनके इस निकलने में परिवार और जानने वालों का इतना सा कहना था की नई जगह पर नया अनुभव मिलेगा। अपने हिंदुस्तान में पहले के दौर में दिक्कत यह रहती थी कि सबको लगता था विदेश में बहुत ताकतवर खिलाड़ी होंगे। उनके सामने हमारा छोरा कहां जीत पाएगा। थोड़ा-बहुत सीख कर वापस घर आ जाएगा। लेकिन नीरज के इरादे कुछ और ही थे। नीरज ने यहां 86.48 मीटर तक भाला फेंक दिया और इसी के साथ बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड। नीरज ने अपने परिवार वालों को गलत साबित कर दिया। वह अनुभव लेने नहीं बल्कि हर हाल में जीतने गए थे।
नायब सूबेदार नीरज से पहले जूनियर लेवल पर इतिहास में इतनी दूर तक कोई भाला नहीं फेंक पाया था। नीरज चोपड़ा को शुरू से ही इतिहास बनाने की आदत रही है। 2016 की वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद ही सेना ने नीरज को जूनियर कमीशंड ऑफिसर बनाते हुए नायब सूबेदार की पदवी दे दी। हालांकि इस वर्ल्ड रिकॉर्ड के बाद भी नीरज 2016 रियो ओलंपिक्स में नहीं खेल पाए। दरअसल रियो के लिए क्वालीफाई करने की कट ऑफ डेट 11 जुलाई थी और नीरज ने यह कारनामा 23 जुलाई को किया था। नीरज चोपड़ा का दिल टूट गया।
हालांकि नीरज ने हरियाणवी छोरा होने के नाते दो सपने एक साथ पूरे कर लिए थे। वह एथलीट होने के साथ ही इंडियन आर्मी का भी हिस्सा बन चुके थे। जूनियर लेवल पर धमाल करने के बाद नीरज ने सीनियर लेवल पर खेलना शुरू किया। यहां उन्होंने साउथ एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स के गोल्ड मेडल जीत लिए। इन टूर्नामेंट्स में दर्शक दीर्घा में मौजूद भारतीय नारा लगाने लगे, कहां पड़े हो चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में!
नीरज चोपड़ा 2020 ओलंपिक गेम्स हर हाल में खेलना चाहते थे। पर इसी बीच नीरज को कंधे की भीषण चोट का सामना करना पड़ा। एक वक्त को तो लगा कि शायद वह कभी दोबारा जेवलिन उठा ही नहीं पाएंगे। पर नीरज चोपड़ा ने ठान रखा था कि वह ओलंपिक में हिंदुस्तान को मेडल जरुर दिलाएंगे। इसके लिए नीरज चोपड़ा ने खूब मेहनत की। दिन-रात अपनी फिटनेस पर काम किया और दोबारा मैदान में वापसी कर ली। फिर बारी आई टोक्यो ओलंपिक 2020 की। जहां नीरज ने 7 अगस्त 2021 को 87.58 मीटर दूर भाला फेंक इतिहास रच दिया।
चोट से वापसी करते हुए नीरज चोपड़ा ने कमाल कर दिया। वो इस खेल में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बन गए। साथ ही अभिनव बिंद्रा के बाद ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत गोल्ड जीतने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय बन गए। यहां से नीरज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने एथलेटिक्स की दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बजा दिया। अमेरिका के यूजीन में आयोजित हुई 18वीं वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने 88.13 मीटर भाला फेंक कर सिल्वर मेडल जीता, वहीं 5 मई 2023 को दोहा में वांडा डायमंड लीग का खिताब अपने नाम किया। लास्ट ईयर जिस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मिला था, इस बार नीरज ने वहां गोल्ड जीत लिया।
वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड जीतकर नीरज चोपड़ा ने जेवलिन के तमाम बड़े कंपीटीशन में गोल्ड जीतने का अपना ख्वाब पूरा कर लिया। 25 साल की उम्र में ही नीरज चोपड़ा हिंदुस्तान के सबसे सफल एथलीट बन चुके हैं। अब अगले साल पेरिस में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है, जिसके लिए नीरज क्वालीफाई कर चुके हैं। ऐसे में उनके फॉर्म को देखते हुए एक बात तो निश्चित है- एथलेटिक्स में एक गोल्ड पक्का है। नीरज चोपड़ा के पिता ने कहा है कि बेटे को हमेशा से गोल्ड ही चाहिए होता है। वह कभी सेकंड बेस्ट नहीं बनना चाहता।
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